आज  के  समय  में  मनुष्य  के  तनाव  का  कारण  उसके  दुर्गुण  ही  हैं  |  आज  जब  देश  आजाद  है  तो  हम  किसी  समस्या  के  लिए  विदेशी  शासन  को  दोष  नहीं  दे  सकते   ।   अपनी  दुष्प्रवृत्तियों  की  वजह  से  व्यक्ति  स्वयं  परेशान  होता  है  और  दूसरों  को  परेशान     करता  है  ।   ईर्ष्या  और  अहंकार  जैसे  दुर्गुण  किसी  जाति  या  धर्म  से  बंधे  नहीं  हैं   l  अधिकांश  परिवारों  में   परस्पर  ईर्ष्या ,  द्वेष   और  अहंकार  के  कारण  ही  झगड़े    और  मुकदमे  होते  हैं   ,  कहीं  कोई  दूसरे  जाति,  धर्म  का  व्यक्ति  आकर  ये   झगड़े   नहीं  कराता  ।  इसी  प्रकार  विभिन्न  कार्यस्थल  पर  होने  वाले  उत्पीड़न    का  कारण  भी    परस्पर  ईर्ष्या  , द्वेष   और  अहंकार  है  ।   यहाँ  भी  कोई  बाहरी  व्यक्ति  आकर  परेशान  नहीं  करता  ।  मनुष्य  का  अहंकार ,  उसकी  सामंतवादी  प्रवृति  ही   समाज  में  अशान्ति  उत्पन्न  करती  है   ।   आज  व्यक्ति  गैरों  से  नहीं  अपनों  से  परेशान  है  । 
जब ईर्ष्या और अहंकार अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है तो उसका परिणाम अपराध के रूप में सामने आता है ।
सुख शान्ति से जीने के लिए आज सबसे ज्यादा जरुरत ---- सद्बुद्धि की है ।
जब ईर्ष्या और अहंकार अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है तो उसका परिणाम अपराध के रूप में सामने आता है ।
सुख शान्ति से जीने के लिए आज सबसे ज्यादा जरुरत ---- सद्बुद्धि की है ।
 
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