आज के समय में जब सब तरफ लूटपाट , हत्याएं , अपराध , अनैतिकता बढ़ गई है तो सामान्य व्यक्ति के मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि यदि ईश्वर है तो इतना अत्याचार क्यों है ? कहाँ है ईश्वर ?
इस सत्य को हमें महाभारत के उदाहरण से समझना होगा कि अत्याचार और अन्याय का मुकाबला हमें स्वयं करना होगा , हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें कि ईश्वर आयेंगे और अन्याय को दूर करेंगे , ऐसा संभव नहीं है | जैसे पांडव बहुत लम्बे समय तक कौरवों के अत्याचार सहते रहे , अंत में जब वे अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध युद्ध के मैदान में खड़े हो गये तब भगवान ने उनकी बागडोर संभाली , सारथि बने , लेकिन स्वयं युद्ध नहीं किया । युद्ध तो पांडवों ने ही किया । पांडवों के पास सत्य और न्याय था इसलिए उन्हें ईश्वर का संरक्षण मिला ।
आज के युग में भी यदि अत्याचार व अन्याय के अन्धकार को दूर करना है तो एक ओर अपने को शक्तिशाली बनाना है तो दूसरी ओर सत्य और न्याय के साथ कर्तव्यपालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर अपने ह्रदय के प्रकाश को जाग्रत करना है । ऐसा करने पर ही ईश्वर की कृपा मिलेगी , दैवी शक्तियां मदद करेंगी और जहाँ यह प्रकाश होगा वहां अंधकार नहीं टिक सकेगा ।
इस सत्य को हमें महाभारत के उदाहरण से समझना होगा कि अत्याचार और अन्याय का मुकाबला हमें स्वयं करना होगा , हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें कि ईश्वर आयेंगे और अन्याय को दूर करेंगे , ऐसा संभव नहीं है | जैसे पांडव बहुत लम्बे समय तक कौरवों के अत्याचार सहते रहे , अंत में जब वे अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध युद्ध के मैदान में खड़े हो गये तब भगवान ने उनकी बागडोर संभाली , सारथि बने , लेकिन स्वयं युद्ध नहीं किया । युद्ध तो पांडवों ने ही किया । पांडवों के पास सत्य और न्याय था इसलिए उन्हें ईश्वर का संरक्षण मिला ।
आज के युग में भी यदि अत्याचार व अन्याय के अन्धकार को दूर करना है तो एक ओर अपने को शक्तिशाली बनाना है तो दूसरी ओर सत्य और न्याय के साथ कर्तव्यपालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर अपने ह्रदय के प्रकाश को जाग्रत करना है । ऐसा करने पर ही ईश्वर की कृपा मिलेगी , दैवी शक्तियां मदद करेंगी और जहाँ यह प्रकाश होगा वहां अंधकार नहीं टिक सकेगा ।
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