कहते हैं सत्य में बहुत ताकत होती है लेकिन आज मनुष्य सत्य से बहुत दूर हो गया है । अत्याधिक धन कमाने , वैभव - विलास का जीवन जीने के लिए मनुष्य गलत तरीकों से , लोगों का हक छीनकर, साधनों का , प्रकृति का शोषण करके धन कमाता है ।
अच्छाई में बहुत आकर्षण होता है इसलिए गलत काम करने वाला व्यक्ति भी अपने ऊपर अच्छाई का आवरण ओड़ कर , स्वयं को एक सभ्य और भला व्यक्ति बनाकर प्रस्तुत करता है । अनेक सीधे - सच्चे लोग ऐसे लोगों की गिरफ्त में आ जाते हैं ।
कोई किसी की सच्चाई जाने या न जाने , व्यक्ति अपनी सच्चाई स्वयं जानता है । यह सच ही उसकी आत्मा को कचोटता रहता है , इसी वजह से आज मनुष्य भयभीत है , तनाव में है ।
शान्ति से जीना ही तो अपना यह नकली चेहरा हटाना होगा क्योंकि सच्चाई कभी छुपती नहीं ।
स्वयं को भुलावे में रखकर व्यक्ति स्वयं अशांत रहता है और समाज में अशान्ति पैदा करता है ।
अच्छाई में बहुत आकर्षण होता है इसलिए गलत काम करने वाला व्यक्ति भी अपने ऊपर अच्छाई का आवरण ओड़ कर , स्वयं को एक सभ्य और भला व्यक्ति बनाकर प्रस्तुत करता है । अनेक सीधे - सच्चे लोग ऐसे लोगों की गिरफ्त में आ जाते हैं ।
कोई किसी की सच्चाई जाने या न जाने , व्यक्ति अपनी सच्चाई स्वयं जानता है । यह सच ही उसकी आत्मा को कचोटता रहता है , इसी वजह से आज मनुष्य भयभीत है , तनाव में है ।
शान्ति से जीना ही तो अपना यह नकली चेहरा हटाना होगा क्योंकि सच्चाई कभी छुपती नहीं ।
स्वयं को भुलावे में रखकर व्यक्ति स्वयं अशांत रहता है और समाज में अशान्ति पैदा करता है ।
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