धन का लालच और बढ़ती हुई तृष्णा, कामना ने मनुष्य के ह्रदय के प्रेम को भी प्रदूषित कर दिया है । अब प्रेम में त्याग और बलिदान नहीं , अब प्रेम का का नाम स्वार्थ और शोषण है ।
प्रेम एक व्यापक शब्द है , जिसके ह्रदय में प्रेम होता है वह सम्पूर्ण पर्यावरण में किसी को भी नुकसान पहुँचाना नहीं चाहता जैसे किसी को फूलों से प्रेम है , यदि बगिया से कोई फूल तोड़ कर फेंक दे तो बहुत दुःख होगा । आज व्यक्ति का प्रेम स्वार्थी है , वह सोचता है कि केवल उसकी बगिया में फूल खिलें , शेष सब चाहे बंजर हो जाये ।
ऐसी संकुचित सोच की वजह से ही अशान्ति है । लोग कहते हैं हमें अपनी धरती से प्रेम है , देश से प्रेम है , लेकिन भ्रष्टाचार कर के वे देश को ही लूटते हैं , धन के लालच में वनों को काटते हैं , पहाड़ों को काट - काट कर खोखला कर देते हैं , ये कैसा प्रेम है !
आज समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है --- समाज में जो अशान्ति के कारण हैं ---- नशा , अश्लीलता , तम्बाकू , मांसाहार ---- इन्हें तो कोई नष्ट नहीं करता , इनके माध्यम से धन कमाते हैं ।
दुर्बुद्धि ऐसी हावी है कि जिन पर हमारा जीवन निर्भर है ---- जल , प्रकृति , पेड़ - पौधे , पहाड़ , खनिज सम्पदा --- इसी को नष्ट करने पर उतारू हैं ।
ह्रदय में संवेदना के स्रोत को जाग्रत करना होगा , ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना करनी होगी ।
प्रेम एक व्यापक शब्द है , जिसके ह्रदय में प्रेम होता है वह सम्पूर्ण पर्यावरण में किसी को भी नुकसान पहुँचाना नहीं चाहता जैसे किसी को फूलों से प्रेम है , यदि बगिया से कोई फूल तोड़ कर फेंक दे तो बहुत दुःख होगा । आज व्यक्ति का प्रेम स्वार्थी है , वह सोचता है कि केवल उसकी बगिया में फूल खिलें , शेष सब चाहे बंजर हो जाये ।
ऐसी संकुचित सोच की वजह से ही अशान्ति है । लोग कहते हैं हमें अपनी धरती से प्रेम है , देश से प्रेम है , लेकिन भ्रष्टाचार कर के वे देश को ही लूटते हैं , धन के लालच में वनों को काटते हैं , पहाड़ों को काट - काट कर खोखला कर देते हैं , ये कैसा प्रेम है !
आज समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है --- समाज में जो अशान्ति के कारण हैं ---- नशा , अश्लीलता , तम्बाकू , मांसाहार ---- इन्हें तो कोई नष्ट नहीं करता , इनके माध्यम से धन कमाते हैं ।
दुर्बुद्धि ऐसी हावी है कि जिन पर हमारा जीवन निर्भर है ---- जल , प्रकृति , पेड़ - पौधे , पहाड़ , खनिज सम्पदा --- इसी को नष्ट करने पर उतारू हैं ।
ह्रदय में संवेदना के स्रोत को जाग्रत करना होगा , ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना करनी होगी ।
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