मौन रहने के लिए जरुरी है कि मौन के समय हमारा मन कोई नकारात्मक और बेसिर - पैर की बातें न सोचे । मनुष्य का मन चंचल होता है , जब मौन होंगे , चुपचाप बैठना चाहेंगे तभी सारे बुरे विचार मन पर आक्रमण कर देते हैं और मन पवित्र नहीं रह पाता ।
हमारे पास कोई शक्ति हो जो सारे कुत्सित विचारों को मार कर भगा दे । वह शक्ति ईश्वर है , जब मौन बैठें तो , मन में ईश्वर से बाते करें , उनसे किसी प्रकार के लालच , कामना की बातें न करें । स्वयं से जो गलतियाँ हुई हैं , उन्हें बताएं व प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें शक्ति दे कि हम अपनी बुराइयों को दूर करें और हमारे जीवन को सही दिशा मिले ।
जब व्यक्ति मौन रहेगा तभी उसे समझ में आयेगा कि उसके पास जो पद - प्रतिष्ठा है , कोई योग्यता है , कोई शक्ति है , वह उसे ईश्वर ने किसी विशेष उद्देश्य के लिए दी है , समाज के कल्याण के लिए दी है । स्वयं का जीवन सही ढंग से जीने के साथ - साथ लोक - हित में भी उसका उपयोग करना चाहिए ।
मौन रहने में हम ईश्वर के निकट होते हैं , जीवन की अनेक समस्याओं के हल मौन रहने से ही मिलते हैं । लेकिन बड़े - बड़े अधिकारी , नेता , वैभव - संपन्न लोग हमेशा चापलूसों से घिरे रहते हैं वे ईश्वर से दूर और चाटुकारों के निकट हो जाते हैं , इसलिए उनके कार्य भी चापलूसों की ख़ुशी के लिए ही होते हैं , ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर पाते ।
यदि शान्ति चाहिए तो सारे संसार में सब लोग कुछ देर मौन रहकर , श्रद्धा और विश्वास से अपनी भाषा में , मन- ही- मन में अज्ञात शक्ति से संसार में सुख - शान्ति के लिए नियमित प्रार्थना करें ।
हमारे पास कोई शक्ति हो जो सारे कुत्सित विचारों को मार कर भगा दे । वह शक्ति ईश्वर है , जब मौन बैठें तो , मन में ईश्वर से बाते करें , उनसे किसी प्रकार के लालच , कामना की बातें न करें । स्वयं से जो गलतियाँ हुई हैं , उन्हें बताएं व प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें शक्ति दे कि हम अपनी बुराइयों को दूर करें और हमारे जीवन को सही दिशा मिले ।
जब व्यक्ति मौन रहेगा तभी उसे समझ में आयेगा कि उसके पास जो पद - प्रतिष्ठा है , कोई योग्यता है , कोई शक्ति है , वह उसे ईश्वर ने किसी विशेष उद्देश्य के लिए दी है , समाज के कल्याण के लिए दी है । स्वयं का जीवन सही ढंग से जीने के साथ - साथ लोक - हित में भी उसका उपयोग करना चाहिए ।
मौन रहने में हम ईश्वर के निकट होते हैं , जीवन की अनेक समस्याओं के हल मौन रहने से ही मिलते हैं । लेकिन बड़े - बड़े अधिकारी , नेता , वैभव - संपन्न लोग हमेशा चापलूसों से घिरे रहते हैं वे ईश्वर से दूर और चाटुकारों के निकट हो जाते हैं , इसलिए उनके कार्य भी चापलूसों की ख़ुशी के लिए ही होते हैं , ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर पाते ।
यदि शान्ति चाहिए तो सारे संसार में सब लोग कुछ देर मौन रहकर , श्रद्धा और विश्वास से अपनी भाषा में , मन- ही- मन में अज्ञात शक्ति से संसार में सुख - शान्ति के लिए नियमित प्रार्थना करें ।
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