संसार में प्रत्येक व्यक्ति खुशी से जीना चाहता है लेकिन स्वार्थ इतना हावी है कि व्यक्ति अपनी खुशी को पाने के लिए दूसरों की खुशी को छीनता है । परिवारों में माता - पिता अपनी इच्छा को बच्चों पर थोपना चाहते हैं । यदि पिता डॉक्टर है तो वह चाहेगा कि उसका बेटा भी डॉक्टर बने , वह बेटे की रूचि का कोई ध्यान नहीं रखेगा l परिवार हो या समाज लोग अपनी ख़ुशी को महत्व देते हैं इसमें दूसरे की ख़ुशी है या नहीं इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता ।
खुशियों को आप जितना फैलायेंगे उतनी ही ख़ुशी बढ़ेगी । लेकिन यदि कोई किसी की ख़ुशी छीनेगें तो प्रतिक्रिया स्वरूप उसकी ख़ुशी भी कहीं न कहीं छिनेगी ।
सबकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी है ।
खुशियों को आप जितना फैलायेंगे उतनी ही ख़ुशी बढ़ेगी । लेकिन यदि कोई किसी की ख़ुशी छीनेगें तो प्रतिक्रिया स्वरूप उसकी ख़ुशी भी कहीं न कहीं छिनेगी ।
सबकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी है ।
No comments:
Post a Comment