धर्म , जाति, वर्ग , ऊँच - नीच के कारण समाज में अत्याचार युगों से चले आ रहे हैं , अब इसमें एक कड़ी और जुड़ गई वह है ----- धन । धन का लालच , तृष्णा कभी समाप्त नहीं होती और इस लालच ने लोगों को कायर बना दिया है ।
अशान्ति का सबसे बड़ा कारण यही है कि आज मनुष्य दूसरे के कन्धे पर रखकर बंदूक चलाना चाहता है । आज का व्यक्ति भ्रष्ट तरीके से धन तो स्वयं कमाना चाहता है लेकिन उसमे नाम किसी दूसरे का रखना चाहता है जिससे कभी कानून की निगाह में आयें तो दूसरा फंस जाये और असली अपराधी बच जाये । भ्रष्टता के इस खेल में जाति, धर्म का कोई भेदभाव नहीं है । यदि कोई निम्न जाति का व्यक्ति या अन्य धर्म का इस भ्रष्टाचार में उनकी मदद करेगा तो उसे गले लगायेंगे । अनैतिक तरीके से ' धन कमाना '-- इसका भी एक विशेष वर्ग बन गया है जो बिना किसी भेदभाव के मजबूती से संगठित है । यहाँ पर यूज एंड थ्रो चलता है ।
समस्या उन लोगों की है जो ईमानदारी से, सरलता से जीवन जीना चाहते हैं , भ्रष्टाचार में उनकी मदद नहीं करते , उन्हें बंदूक चलाने के लिए अपने कन्धे का इस्तेमाल नहीं करने देते । ऐसे ईमानदार लोगों को ये सब मिलकर उत्पीड़ित करते हैं , उनके भ्रष्ट तरीके में सहयोग करो अन्यथा मिटाने के लिए सारे हथकण्डे इस्तेमाल करते हैं ।
समाज में शान्ति हो इसके लिए जरुरी है कि ईमानदार और सच्चे लोग संगठित हों । जैसे ' शुद्धि ' करके पुन: अपने धर्म में आते हैं उसी तरह जो लोग भूलचूक से गलत राह पर चले गये हैं उन्हें समझा - बुझा कर ईमानदारी के खेमे में लाया जाये , इस तरह के प्रयास से समाज में शान्ति होगी ।
अशान्ति का सबसे बड़ा कारण यही है कि आज मनुष्य दूसरे के कन्धे पर रखकर बंदूक चलाना चाहता है । आज का व्यक्ति भ्रष्ट तरीके से धन तो स्वयं कमाना चाहता है लेकिन उसमे नाम किसी दूसरे का रखना चाहता है जिससे कभी कानून की निगाह में आयें तो दूसरा फंस जाये और असली अपराधी बच जाये । भ्रष्टता के इस खेल में जाति, धर्म का कोई भेदभाव नहीं है । यदि कोई निम्न जाति का व्यक्ति या अन्य धर्म का इस भ्रष्टाचार में उनकी मदद करेगा तो उसे गले लगायेंगे । अनैतिक तरीके से ' धन कमाना '-- इसका भी एक विशेष वर्ग बन गया है जो बिना किसी भेदभाव के मजबूती से संगठित है । यहाँ पर यूज एंड थ्रो चलता है ।
समस्या उन लोगों की है जो ईमानदारी से, सरलता से जीवन जीना चाहते हैं , भ्रष्टाचार में उनकी मदद नहीं करते , उन्हें बंदूक चलाने के लिए अपने कन्धे का इस्तेमाल नहीं करने देते । ऐसे ईमानदार लोगों को ये सब मिलकर उत्पीड़ित करते हैं , उनके भ्रष्ट तरीके में सहयोग करो अन्यथा मिटाने के लिए सारे हथकण्डे इस्तेमाल करते हैं ।
समाज में शान्ति हो इसके लिए जरुरी है कि ईमानदार और सच्चे लोग संगठित हों । जैसे ' शुद्धि ' करके पुन: अपने धर्म में आते हैं उसी तरह जो लोग भूलचूक से गलत राह पर चले गये हैं उन्हें समझा - बुझा कर ईमानदारी के खेमे में लाया जाये , इस तरह के प्रयास से समाज में शान्ति होगी ।
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