संसार में अधिकांश उत्पात , अशान्ति या तो अनैतिकता के कारण होते हैं या व्यक्ति के मानसिक आवेश , क्रोध और उदिव्ग्नता के कारण होते हैं । छोटी - छोटी बात पर कत्ल, खून - खराबा , दलबंदी , आत्महत्या आदि घटनाएँ सुनने को मिलती हैं । आवेश के बदले आवेश , क्रोध के बदले क्रोध के कारण ही परिवार , समाज और संसार में झगड़े और अशान्ति है ।
भयानक काण्डों के मूल में कभी इतने छोटे कारण होते हैं कि यदि व्यक्ति का मन संतुलित हो , उदारता से काम ले तो उन्हें बड़ी आसानी से हल किया जा सकता है ।
प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने मन को संतुलित रखने का प्रयास करे , किसी बात पर आवेश ग्रस्त और उतावले न हों , धैर्य से काम लें तो परिवार के , संसार के अधिकांश झगड़े दूर हो जाएँ ।
संसार में सुख - शान्ति के लिए जितनी अनिवार्यता नैतिकता की है उतना ही जरुरी है कि व्यक्ति आवेश ग्रस्त और तुनक मिजाज न हो । बिगड़ी हुई परिस्थितियों का सामना बड़ी बुद्धिमता और धैर्य के साथ किया जाये ।
भयानक काण्डों के मूल में कभी इतने छोटे कारण होते हैं कि यदि व्यक्ति का मन संतुलित हो , उदारता से काम ले तो उन्हें बड़ी आसानी से हल किया जा सकता है ।
प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने मन को संतुलित रखने का प्रयास करे , किसी बात पर आवेश ग्रस्त और उतावले न हों , धैर्य से काम लें तो परिवार के , संसार के अधिकांश झगड़े दूर हो जाएँ ।
संसार में सुख - शान्ति के लिए जितनी अनिवार्यता नैतिकता की है उतना ही जरुरी है कि व्यक्ति आवेश ग्रस्त और तुनक मिजाज न हो । बिगड़ी हुई परिस्थितियों का सामना बड़ी बुद्धिमता और धैर्य के साथ किया जाये ।
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