श्रेष्ठ सिद्धान्तों की उपयोगिता से सब परिचित हैं , इसीलिए प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर कॉलेज शिक्षा तक ' नैतिकता ' को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है । लेकिन नैतिकता के नियम केवल रटने और जिह्वा पर रहने के लिए नहीं हैं उनका हमारे विचारों में , मन में रहना और कर्मेन्द्रियों द्वारा आचरण में , हमारे व्यवहार में लागू किया जाना जरुरी है ।
समाज में अशान्ति का कारण यही है कि भौतिकता में तो वृद्धि हुई है लेकिन नैतिकता को भुला देने के कारण राक्षसी प्रवृति में वृद्धि हुई है ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नैतिकता का पालन करे , कठोर नियम बनाकर नैतिकता का पालन हर उम्र और हर वर्ग के व्यक्ति के लिए अनिवार्य हो । धीरे - धीरे लोगों को इसकी आदत बन जाएगी तभी संसार में शान्ति होगी अन्यथा बाहरी युद्ध नहीं , मनुष्य के अन्दर का महाभारत ही उसे समाप्त कर देगा ।
समाज में अशान्ति का कारण यही है कि भौतिकता में तो वृद्धि हुई है लेकिन नैतिकता को भुला देने के कारण राक्षसी प्रवृति में वृद्धि हुई है ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नैतिकता का पालन करे , कठोर नियम बनाकर नैतिकता का पालन हर उम्र और हर वर्ग के व्यक्ति के लिए अनिवार्य हो । धीरे - धीरे लोगों को इसकी आदत बन जाएगी तभी संसार में शान्ति होगी अन्यथा बाहरी युद्ध नहीं , मनुष्य के अन्दर का महाभारत ही उसे समाप्त कर देगा ।
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