संसार में जितनी भी समस्याएं हैं , परेशानियाँ हैं , दुःख , तकलीफ और मुसीबतें हैं , समाज के ईर्ष्यालु और अहंकारी लोगो की कुटिल चालों और षडयंत्रों के बीच भी शान्ति से जीने का एकमात्र रास्ता है ------ निष्काम कर्म । जब व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से सत्कर्म करता है तो धीरे - धीरे उसकी बुद्धि निर्मल होती जाती है । विकार दूर होने लगते हैं । सत्कर्मों के साथ जब व्यक्ति संसार में अपने कर्तव्यों का पालन भी ईमानदारी और नि:स्वार्थ भाव से करता है तो जीवन की विभिन्न समस्याएं बड़ी सहजता से हल हो जाती हैं ।
हमें समस्याओं से भागना नहीं है । आज संसार में लोगों के ह्रदय की संवेदना सूख गई है । हम भूख हड़ताल करके , कार्य करना छोड़ कर , स्वयं को कष्ट देकर समस्याओं से मुक्ति नहीं पा सकते समस्याओं से निपटने के लिए हमें कर्मयोगी बनना होगा । निरंतर कर्म करते हुए ईश्वर का स्मरण करने से ही वह शक्ति प्राप्त होगी जो हमें सुख - शान्ति और सफलता प्रदान करेगी ।
हमें समस्याओं से भागना नहीं है । आज संसार में लोगों के ह्रदय की संवेदना सूख गई है । हम भूख हड़ताल करके , कार्य करना छोड़ कर , स्वयं को कष्ट देकर समस्याओं से मुक्ति नहीं पा सकते समस्याओं से निपटने के लिए हमें कर्मयोगी बनना होगा । निरंतर कर्म करते हुए ईश्वर का स्मरण करने से ही वह शक्ति प्राप्त होगी जो हमें सुख - शान्ति और सफलता प्रदान करेगी ।
No comments:
Post a Comment