आज के समय में मनुष्य विभिन्न कर्मकांड करके स्वयं के धार्मिक और आस्तिक होने का दावा करता है | विभिन्न धर्मो के सद्ग्रंथों में बताये गये नैतिकता के नियमों का पालन करना व्यक्ति को कठिन लगता है । यही कारण है कि अथक परिश्रम करके , सही - गलत विभिन्न तरीकों से व्यक्ति धन तो बहुत कमा लेता है , भोग - विलास का जीवन भी जीता है लेकिन नैतिकता और मर्यादा न होने के कारण उसके जीवन में आनन्द नहीं होता । कामना - वासना कभी समाप्त नहीं होती इसलिए व्यक्ति मनोरोगों का शिकार हो जाता है । जीवन में संतुलन जरुरी है , भौतिकता के साथ नैतिकता का , आध्यात्मिकता का समावेश जरुरी है ।
सामान्य रूप से लोगों की यह सोच होती है कि नैतिकता की , सच्चाई की राह बड़ी कठिन होती है । जब गलत राह पर चलकर , लोगों का शोषण करके खूब धन कमाया जा सकता है , भोग - विलास का जीवन जिया जा सकता है तो नैतिकता की कठिन राह पर चलने की क्या जरुरत ?
आज के इस भौतिकतावादी युग में जब चारों ओर आकर्षण हैं हमें सुख शान्ति से जीना है तो मध्यम मार्ग अपनाना होगा । जीवन को इस ढंग से जीना होगा कि हमारी सुख - सुविधा , भोग - विलास की आवश्यकताएं भी संतुष्ट हो जाएँ और नैतिकता और सत्कर्मों का पालन भी हो जाये ।
वे सब लोग जिन्हें अपने जीवन से प्यार है , अपनी आने वाली पीढ़ियों का स्वस्थ और खुशहाल जीवन चाहते हैं , शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, ईश्वरीय कृपा का आनन्द उठाना चाहते हैं उन्हें सांसारिक सुख - भोग का जीवन जीने के साथ - साथ आध्यात्मिकता का , सच्चाई , ईमानदारी , कर्तव्यपालन , संवेदना , सेवाभाव आदि सद्गुणों का जीवन में समावेश करना होगा |
सामान्य रूप से लोगों की यह सोच होती है कि नैतिकता की , सच्चाई की राह बड़ी कठिन होती है । जब गलत राह पर चलकर , लोगों का शोषण करके खूब धन कमाया जा सकता है , भोग - विलास का जीवन जिया जा सकता है तो नैतिकता की कठिन राह पर चलने की क्या जरुरत ?
आज के इस भौतिकतावादी युग में जब चारों ओर आकर्षण हैं हमें सुख शान्ति से जीना है तो मध्यम मार्ग अपनाना होगा । जीवन को इस ढंग से जीना होगा कि हमारी सुख - सुविधा , भोग - विलास की आवश्यकताएं भी संतुष्ट हो जाएँ और नैतिकता और सत्कर्मों का पालन भी हो जाये ।
वे सब लोग जिन्हें अपने जीवन से प्यार है , अपनी आने वाली पीढ़ियों का स्वस्थ और खुशहाल जीवन चाहते हैं , शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, ईश्वरीय कृपा का आनन्द उठाना चाहते हैं उन्हें सांसारिक सुख - भोग का जीवन जीने के साथ - साथ आध्यात्मिकता का , सच्चाई , ईमानदारी , कर्तव्यपालन , संवेदना , सेवाभाव आदि सद्गुणों का जीवन में समावेश करना होगा |
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