किसी भय अथवा प्रलोभन से , दण्ड अथवा सामाजिक बहिष्कार से किसी भी व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलने को , सत्प्रवृतियों को अपनाने को विवश नहीं किया जा सकता । जब व्यक्ति सच्चे अर्थों में आस्तिक होता है , ईश्वर पर विश्वास करता है तो वह अपना कर्तव्यपालन पूरी ईमानदारी से करता है ताकि इस कर्तव्य परायणता के आधार पर वह ईश्वर को प्रसन्न कर सके । ऐसा व्यक्ति
सबमे परमात्मा को देखता है और सबके साथ सह्रदयता का , सज्जनता का व्यवहार करता है ।
संसार में शान्ति के लिए लोगों का ईश्वर विश्वासी होना जरुरी है ।
सबमे परमात्मा को देखता है और सबके साथ सह्रदयता का , सज्जनता का व्यवहार करता है ।
संसार में शान्ति के लिए लोगों का ईश्वर विश्वासी होना जरुरी है ।
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