किसी के पास धन , पद , वैभव की ताकत है , कला , साहित्य आदि किसी भी क्षेत्र में कोई विशेष प्रतिभा है तो इसका उपयोग उसे इस प्रकार करना चाहिए कि स्वयं का जीवन भी सुख - सुविधा में हो और उससे कुछ लोक कल्याण भी हो | शक्ति का उपयोग इस प्रकार हो कि उससे समाज के उत्थान में मदद मिले । यदि कोई कलाकार या साहित्यकार अपनी प्रतिभा का उपयोग समाज में लोगों की मानसिकता को प्रदूषित करने के लिए करता है तो यह गलत है , पाप कर्म है । इसी प्रकार उच्च पद पर पहुँचा व्यक्ति अपनी शक्ति का प्रयोग अत्याचार करने के लिए करता है तो यह गलत है ।
मनुष्य के पास थोड़ी भी ताकत आ जाती है तो उसका उपयोग वह अपने अहंकार की पूर्ति में करने लगता है इसी से समाज में अशान्ति होती है l
मनुष्य के पास थोड़ी भी ताकत आ जाती है तो उसका उपयोग वह अपने अहंकार की पूर्ति में करने लगता है इसी से समाज में अशान्ति होती है l
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