कोई भी समाज अपनी संस्कृति के अनुरूप आचरण कर के ही सुखी हो सकता है । भारतीय संस्कृति में मर्यादा , नैतिकता और श्रेष्ठ चरित्र को प्रधानता दी गई है लेकिन धन का लालच , असीमित कामनाएं , फिल्मों की अश्लीलता आदि के कारण आज मनुष्य मर्यादा और नैतिकता को भूल गया है , लेकिन मन की गहराइयों में वह श्रेष्ठ चरित्र को ही पसंद करते हैं इसलिए समाज में ऐसे लोग मुखौटा लगाकर रहते हैं ताकि उनकी असलियत किसी को मालूम न हो ।
परिवार में कलह का यही बड़ा कारण है ।
परिवार में कलह का यही बड़ा कारण है ।
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