अधिकांश लोग अपने दुःख , कष्ट के लिए दूसरों को दोष देते हैं जबकि सच्चाई ये है कि कोई किसी के सुख - दुःख का दाता नहीं है । प्रारब्धवश जो कष्ट हैं वह उतने नहीं होते जितने कि व्यक्ति की गलत आदतों , उसका गलत आचरण , दिनचर्या सही न होना , आलसी , क्रोधी स्वभाव, ईर्ष्यालु होना , अहंकार आदि व्यक्ति की स्वयं की कमियों के कारण ही उसके जीवन में समस्याओं का उदय होता है । पति - पत्नी , बच्चे , माता - पिता इनके मिलने से ही परिवार बनता है इसलिए इनके द्वारा किये जाने वाले अच्छे - बुरे कर्म भी संतानों को और आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करते हैं । इसलिए जीवन में जब भी कष्ट और परेशानियाँ आएं तो सर्वप्रथम स्वयं के भीतर झाँक कर देखे कि जीवन में कहाँ , क्या गलतियाँ की हैं , फिर माता - पिता को देखे , यदि उनकी कमाई पाप की है , भ्रष्ट तरीके से दूसरे को कष्ट देकर धन कमाया है तो उस पाप की छाया परिवार पर अवश्य पड़ेगी । सबको तो नहीं सुधारा जा सकता , लेकिन स्वयं की गलतियों को समझकर स्वयं को सुधारने का प्रयास करें तभी जीवन में वह अनोखी शान्ति प्राप्त हो सकती है ।
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