लोग यह अच्छी तरह जानते हैं कि नशा , गुटका , तम्बाकू यह सब उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं लेकिन फिर भी वे उसे छोड़ते नहीं हैं । कहते हैं ' मार के डर से भूत भागता है । ' लोगों को सुधारने के लिए कठोर नियंत्रण की आवश्यकता है । जब व्यक्ति शरीर व मन से स्वस्थ होगा तभी वह जीवन में सकारात्मक कार्य कर सकेगा , पर्यावरण को भी स्वच्छ रखेगा ।
हम सब ---- मनुष्य , पेड़ - पौधे , पशु - पक्षी -- सम्पूर्ण जगत एक ही माला में गुंथे हए हैं । सुख - शान्ति से जीना है तो ' जियो और जीने दो ' के सिद्धान्त पर चलना होगा ।
लोग युवा पीढ़ी से ही सारी उम्मीदें रखते हैं , उन्ही को सुधारना चाहते हैं लेकिन प्रौढ़ और बुजुर्ग वर्ग स्वयं सुधरना नहीं चाहते , भ्रष्टाचार , बेईमानी , ईर्ष्या - द्वेष , अहंकार , असंयम , गलत आदतें , कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते । संसार से जाने का समय भी आ जायेगा तब भी युवा पीढ़ी के लिए कोई आदर्श प्रस्तुत कर नहीं जायेंगे ।
केवल भौतिक विकास से कभी शान्ति नहीं होगी , मनुष्य की चेतना भी विकसित हो तभी लोगों के मन में शान्ति होगी और जब अधिकाधिक शान्त मन के लोग होंगे तभी संसार में शान्ति होगी
हम सब ---- मनुष्य , पेड़ - पौधे , पशु - पक्षी -- सम्पूर्ण जगत एक ही माला में गुंथे हए हैं । सुख - शान्ति से जीना है तो ' जियो और जीने दो ' के सिद्धान्त पर चलना होगा ।
लोग युवा पीढ़ी से ही सारी उम्मीदें रखते हैं , उन्ही को सुधारना चाहते हैं लेकिन प्रौढ़ और बुजुर्ग वर्ग स्वयं सुधरना नहीं चाहते , भ्रष्टाचार , बेईमानी , ईर्ष्या - द्वेष , अहंकार , असंयम , गलत आदतें , कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते । संसार से जाने का समय भी आ जायेगा तब भी युवा पीढ़ी के लिए कोई आदर्श प्रस्तुत कर नहीं जायेंगे ।
केवल भौतिक विकास से कभी शान्ति नहीं होगी , मनुष्य की चेतना भी विकसित हो तभी लोगों के मन में शान्ति होगी और जब अधिकाधिक शान्त मन के लोग होंगे तभी संसार में शान्ति होगी
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