हम सब इनसान हैं और हमसे जाने-अनजाने गलतियाँ हो जाती हैं | कभी किसी व्यक्ति से अनजाने में, अज्ञानतावश कोई ऐसी भूल हो जाती है कि वह बुराइयों के दलदल में फंसता जाता है, वह बहुत छटपटाता है, इस दलदल से बाहर आना चाहता है, लेकिन कोई मददगार नहीं, कोई रास्ता नहीं !
ऐसी स्थिति में एक ही रास्ता है----- वह व्यक्ति संकल्प ले कि किसी भी दबाव में आकर उसे अब और गलती नहीं करनी है । यदि किसी वजह से बैठ्कर पूजा में मन नहीं लगता है तो जब भी याद आ जाये, चलते-फिरते, उठते-बैठते गायत्री मन्त्र का मानसिक जप करे । इस मन्त्र के जप के साथ जरुरी है कि अपनी सामर्थ्य के अनुरूप नि:स्वार्थ सेवा का कोई कार्य अवश्य किया जाये, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि जब हम बुराइयों से दूर रहना चाहते हैं और अच्छाई की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं तो कैसे सम्पूर्ण प्रकृति हमारी रक्षा करती है, कैसे चमत्कार घटित होते हैं ।
यह बहुत जरुरी है कि कैसी भी स्थिति हो निष्काम कर्म अवशय करें और किसी भी लालच में आकर हम अपने संकल्प से विचलित न हो, हमारा संकल्प दृढ और सच्चे ह्रदय से होना चाहिए ।
ऐसी स्थिति में एक ही रास्ता है----- वह व्यक्ति संकल्प ले कि किसी भी दबाव में आकर उसे अब और गलती नहीं करनी है । यदि किसी वजह से बैठ्कर पूजा में मन नहीं लगता है तो जब भी याद आ जाये, चलते-फिरते, उठते-बैठते गायत्री मन्त्र का मानसिक जप करे । इस मन्त्र के जप के साथ जरुरी है कि अपनी सामर्थ्य के अनुरूप नि:स्वार्थ सेवा का कोई कार्य अवश्य किया जाये, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि जब हम बुराइयों से दूर रहना चाहते हैं और अच्छाई की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं तो कैसे सम्पूर्ण प्रकृति हमारी रक्षा करती है, कैसे चमत्कार घटित होते हैं ।
यह बहुत जरुरी है कि कैसी भी स्थिति हो निष्काम कर्म अवशय करें और किसी भी लालच में आकर हम अपने संकल्प से विचलित न हो, हमारा संकल्प दृढ और सच्चे ह्रदय से होना चाहिए ।
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