जीवन जीना एक कला है--- हमें इस सत्य को समझना होगा कि संसार केवल फूलों का बगीचा ही नहीं है वरन इसमें काँटे भी है । आज की आपा-धापी की जिंदगी में तो काँटों की ही प्रधानता है ।
योग का उद्देश्य शरीर, मन व आत्मा को इस प्रकार प्रशिक्षित करना है, जिससे वे विपरीत परिस्थितियों में भी अपना सन्तुलन स्थिर रख सकें । योग द्रष्टि को अपनाकर प्रत्येक परिस्थिति में मनुष्य मन को संतुलित और शांत रख सकता है ।
योग की सार्थकता तभी है जब हम इस बात का संकल्प लें कि हम अपने मन को समझाकर, मन की दुष्प्रवृत्तियों को दूर करेंगे और सद्गुणों को अपनायेंगे । वे सब साधन जो हमारे विचारों को प्रदूषित करते हैं, हमारी शारीरिक और मानसिक शक्ति को क्षीण करते हैं, उनका त्याग करेंगे ।
विचारों की पवित्रता से हमारा मन एकाग्र होने लगेगा, आत्म विश्वास बढेगा ।
योग की सार्थकता तभी है जब हम इस बात का संकल्प लें कि हम अपने मन को समझाकर, मन की दुष्प्रवृत्तियों को दूर करेंगे और सद्गुणों को अपनायेंगे । वे सब साधन जो हमारे विचारों को प्रदूषित करते हैं, हमारी शारीरिक और मानसिक शक्ति को क्षीण करते हैं, उनका त्याग करेंगे ।
विचारों की पवित्रता से हमारा मन एकाग्र होने लगेगा, आत्म विश्वास बढेगा ।
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