आनंदमय जीवन जीना है तो हमें विचारों पर नियंत्रण रखना होगा । हम सब सांसारिक प्राणी है, समय समय पर हमारे मन मे काम, क्रोध, लोभ, ठगी, बेईमानी, शोषण, अन्याय, धोखा आदि पापपूर्ण मानसिक आवेश उत्पन्न होते है जिनसे मन अशांत होता है, इसी अशांति से तनाव और विभिन्न बीमारियाँ उत्पन्न होती है, चेहरे का तेज नष्ट हो जाता है ।
जीवन में सफलता और सुख-शांति चाहते हैं तो यह प्रयास करें कि ये पापपूर्ण आवेश कभी भी काबू से बाहर न हों । इन आवेशों के वशीभूत होकर जो भी कार्य करेंगे उनका परिणाम दुःखदायी होगा । अपनी विवेक बुद्धि से इन मानसिक आवेशों पर नियंत्रण रखने का निरंतर प्रयत्न करें तो इसका परिणाम सुखकर होगा और जीवन में अनोखा आनंद प्राप्त होगा ।
विचारों की पवित्रता से हमारा अणु-अणु प्रबल बनता है । हम सत्कर्म करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें सद्बुद्धि दें, विवेक प्रदान करें जिससे हम अपने मन पर नियंत्रण कर आनन्द प्राप्त कर सकें ।
जीवन में सफलता और सुख-शांति चाहते हैं तो यह प्रयास करें कि ये पापपूर्ण आवेश कभी भी काबू से बाहर न हों । इन आवेशों के वशीभूत होकर जो भी कार्य करेंगे उनका परिणाम दुःखदायी होगा । अपनी विवेक बुद्धि से इन मानसिक आवेशों पर नियंत्रण रखने का निरंतर प्रयत्न करें तो इसका परिणाम सुखकर होगा और जीवन में अनोखा आनंद प्राप्त होगा ।
विचारों की पवित्रता से हमारा अणु-अणु प्रबल बनता है । हम सत्कर्म करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें सद्बुद्धि दें, विवेक प्रदान करें जिससे हम अपने मन पर नियंत्रण कर आनन्द प्राप्त कर सकें ।
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