पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है कि शरीर और मन दोनों स्वस्थ हों । योग द्वारा शरीर तो स्वस्थ हो जाता है लेकिन जब तक मन स्वस्थ न हों जीवन में आनंद नहीं है । योग-साधनाओं के सत्परिणाम पाने के लिए मन का स्वस्थ होना बहुत जरुरी है ।
योग-साधना से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है । यदि आपने एक-दो बार क्रोध किया, अश्लील सहित्य पढ़ा, विचारों को प्रदूषित करने वाली अश्लील फिल्म देखी, बहुत अधिक समय परनिन्दा, परचर्चा में नष्ट किया , शराब , सिगरेट आदि नशे का सेवन किया तो नियमित योग करने से जो आपको ऊर्जा मिली वो इन व्यर्थ के क्रिया-कलापों में नष्ट हो गई ।
यदि आप योग का चमत्कार देखना चाहते हैं, अपना आकर्षक व्यक्तित्व और चेहरे पर तेज हो तो इसके लिए आत्मपरिष्कार करना अनिवार्य है ।
हम सबको इसी संसार में रहना है जहां चारों ओर आकर्षण बिखरा है, इस संसार से भागना नहीं है, निरंतर प्रयास करके अपने कुविचारों को, काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, द्वेष आदि पापपूर्ण विचारों को हटाकर पवित्रता, दया, उदारता आदि भावनाओं को अपनाना है ।
विचारों की पवित्रता ऐसा अमोघ उपाय है जिससे आत्म शक्ति का विकास होता है और व्यक्ति असाधारण तेजस्वी बन जाता है ।
योग-साधना से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है । यदि आपने एक-दो बार क्रोध किया, अश्लील सहित्य पढ़ा, विचारों को प्रदूषित करने वाली अश्लील फिल्म देखी, बहुत अधिक समय परनिन्दा, परचर्चा में नष्ट किया , शराब , सिगरेट आदि नशे का सेवन किया तो नियमित योग करने से जो आपको ऊर्जा मिली वो इन व्यर्थ के क्रिया-कलापों में नष्ट हो गई ।
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