समाज में दो ही वर्ग हैं----- शोषक वर्ग एवं शोषित वर्ग । शोषित वर्ग में वे लोग हैं जो गरीब हैं, भूख , बीमारी, कुपोषण और शोषण से पीड़ित हैं |
शोषक वर्ग में ऐसे लोग हैं जिनकी आवश्यकताएं पूरी हो चुकी हैं, लेकिन इच्छाएं पूर्ण नहीं हुईं | असीमित इच्छओं को पूरा करने के लिए ये वर्ग कमजोर का शोषण करते हैं, उनका हक छीनते हैं, अपने अहंकार की पूर्ति के लिए उन पर अत्याचार करते हैं ।
परिणाम देखें तो---- गरीब व्यक्ति गंदगी, कुपोषण आदि कारणों से बीमार पड़ता है और सरकारी अस्पताल से, सस्ते दवाखानों से अपना इलाज करा लेता है |
लेकिन दुनिया के जितने भी बड़े और महंगे अस्पताल हैं वो अधिकांशत उन लोगों से भरें हैं जिनके पास स्वस्थ रहने के सारे साधन मौजूद हैं । इसके अलावा उनके पास बुद्धि भी है कि कैसे आसन, व्यायाम करके शरीर को स्वस्थ रखें ।
दूसरों को अशांत करके कभी शान्ति नहीं मिल सकती, किसी को कुपोषण, बीमार और गई-गुजरी हालत मे रहने को विवश करके अपने अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद नहीं की जा सकती
संपन्न और समर्थ वर्ग को स्वयं को बदलने की जरुरत है । कमजोर का शोषण न करके उन्हें ऊँचा उठाने की नीति अपनाएं तो सुख-शान्ति अपंने आप खिंची चली आएगी ।
शोषक वर्ग में ऐसे लोग हैं जिनकी आवश्यकताएं पूरी हो चुकी हैं, लेकिन इच्छाएं पूर्ण नहीं हुईं | असीमित इच्छओं को पूरा करने के लिए ये वर्ग कमजोर का शोषण करते हैं, उनका हक छीनते हैं, अपने अहंकार की पूर्ति के लिए उन पर अत्याचार करते हैं ।
परिणाम देखें तो---- गरीब व्यक्ति गंदगी, कुपोषण आदि कारणों से बीमार पड़ता है और सरकारी अस्पताल से, सस्ते दवाखानों से अपना इलाज करा लेता है |
लेकिन दुनिया के जितने भी बड़े और महंगे अस्पताल हैं वो अधिकांशत उन लोगों से भरें हैं जिनके पास स्वस्थ रहने के सारे साधन मौजूद हैं । इसके अलावा उनके पास बुद्धि भी है कि कैसे आसन, व्यायाम करके शरीर को स्वस्थ रखें ।
दूसरों को अशांत करके कभी शान्ति नहीं मिल सकती, किसी को कुपोषण, बीमार और गई-गुजरी हालत मे रहने को विवश करके अपने अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद नहीं की जा सकती
संपन्न और समर्थ वर्ग को स्वयं को बदलने की जरुरत है । कमजोर का शोषण न करके उन्हें ऊँचा उठाने की नीति अपनाएं तो सुख-शान्ति अपंने आप खिंची चली आएगी ।
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