गरीबी , बीमारी , सुन्दर न होना , शारीरिक कमी होना ----- इन कारणों से व्यक्ति में इतना हीनता का भाव नहीं आता , जितना कि अपने ईमान को , अपनी आत्मा को बेच देने से आता है । जब व्यक्ति धन के लालच में किसी के हाथ की कठपुतली बन जाता है तो कहीं न कहीं उसकी आत्मा उसे कचोटने लगती है । किसी से धन , पद या कोई विशेष सुविधा पाने के लिए उसे अपने स्वाभिमान को इतना गिरवी रख देना पड़ता है कि एकान्त उसे कचोटने लगता है । वह अपनी खीज अपने परिवार पर या अपने से कमजोर पर निकालता है , शराब के नशे में उसे भुलाने की कोशिश करता है । इससे पारिवारिक जीवन में अशान्ति उत्पन्न होती है । ऐसे लोगों की अधिकता है इसलिए समाज में भी अशान्ति है |
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