कहते हैं जिस बात की ज्यादा चर्चा करो वह बात बढ़ती जाती है । विभिन्न समाचारों में देश - दुनिया में महिलाओं के प्रति , छोटी बच्चियों के प्रति जो अपराध होते हैं , उसे बड़े विस्तार से बताया जाता है । लेकिन ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को क्या दंड मिला -- प्रकृति से , समाज से , कानून से क्या दण्ड मिला , इसका ऐसा वर्णन नहीं मिलता कि ऐसी अपराधी प्रवृति के लोगों के दिल में ऐसा भय समा जाये कि अपराध करने के लिए कदम ही न उठें ।
श्रेष्ठता की राह पर चलना बड़ा कठिन है , लेकिन पतन की राह सरल होती है , पानी बड़ी तेजी से नीचे की और गिरता है । दण्ड , सामाजिक बहिष्कार जैसा कोई भय ही न हो तो पाशविक प्रवृति , चरित्र की गिरावट की कोई सीमा नहीं रह जाती ।
चरित्रहीनता भी एक संक्रामक रोग की तरह है जो अमीर - गरीब , ऊँच - नीच , बूढ़े , जवान , बच्चे हर किसी को अपनी गिरफ्त में ले लेती है । परिवार टूटते हैं , सामाजिक जीवन भी दिखावे और स्वार्थ का हो जाता है । श्रेष्ठ चरित्र से ही संस्कृति की रक्षा संभव है ।
श्रेष्ठता की राह पर चलना बड़ा कठिन है , लेकिन पतन की राह सरल होती है , पानी बड़ी तेजी से नीचे की और गिरता है । दण्ड , सामाजिक बहिष्कार जैसा कोई भय ही न हो तो पाशविक प्रवृति , चरित्र की गिरावट की कोई सीमा नहीं रह जाती ।
चरित्रहीनता भी एक संक्रामक रोग की तरह है जो अमीर - गरीब , ऊँच - नीच , बूढ़े , जवान , बच्चे हर किसी को अपनी गिरफ्त में ले लेती है । परिवार टूटते हैं , सामाजिक जीवन भी दिखावे और स्वार्थ का हो जाता है । श्रेष्ठ चरित्र से ही संस्कृति की रक्षा संभव है ।
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