समाज में अमीर और गरीब के बीच बहुत गहरी खाई है । जो अमीर हैं , जिनके हाथ में ताकत है वे गरीबों का इतना शोषण करते हैं , उन्हें इतना लूटते हैं कि निर्धन व्यक्ति केवल रोटी - पानी की चिन्ता में मगन रहे , वो समझ ही न सके कि यह अत्याचार और अन्याय है , शोषण व अत्याचार को वह अपना दुर्भाग्य समझ कर स्वीकार कर ले , इस निर्धनता की वजह से उसमे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस ही न रहे ।
जो बुद्धिजीवी वर्ग है उसमे समझ है । वह सही - गलत को , अत्याचार , अन्याय को समझता तो है लेकिन उसकी अपनी मानसिक और शारीरिक कमजोरियां हैं , धन व पद का लालच , कामना और वासना है । इन सबकी वजह से बुद्धिजीवी वर्ग बिक जाता है , अपनी आंखों पर पट्टी बाँध लेता है - इसी कारण से समाज में अपराध , अत्याचार , शोषण बढ़ता जाता है ।
आज सबसे ज्यादा जरुरत है ---- विवेक की । क्योंकि ऐसे समाज में शान्ति कहीं नहीं होती , , हर व्यक्ति परेशान रहता है ।
जो बुद्धिजीवी वर्ग है उसमे समझ है । वह सही - गलत को , अत्याचार , अन्याय को समझता तो है लेकिन उसकी अपनी मानसिक और शारीरिक कमजोरियां हैं , धन व पद का लालच , कामना और वासना है । इन सबकी वजह से बुद्धिजीवी वर्ग बिक जाता है , अपनी आंखों पर पट्टी बाँध लेता है - इसी कारण से समाज में अपराध , अत्याचार , शोषण बढ़ता जाता है ।
आज सबसे ज्यादा जरुरत है ---- विवेक की । क्योंकि ऐसे समाज में शान्ति कहीं नहीं होती , , हर व्यक्ति परेशान रहता है ।
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