आज समाज में नशा , तम्बाकू , सिगरेट , मांसाहार , अश्लील फ़िल्में और साहित्य की भरमार है । ये सब बातें मनुष्य की सोचने - समझने और निर्णय लेने की क्षमता को समाप्त कर देती है । मन चंचल होता है , इन सब बुरी आदतों की वजह से जीवन में सकारात्मक कार्य संभव नहीं हो पाता ।
अच्छे समाज का निर्माण करना हो तो इन पहले इन बुराइयों को मिटाना होगा । जो लोग इन बुराइयों को समाज को परोसते हैं वे सोचते हैं कि वे और उनका परिवार इससे बच जायेगा लेकिन ऐसा संभव नहीं होता । धन के लालच में चाहे व्यक्ति अनदेखा कर दे लेकिन अपनी आँखों के आगे अपने परिवार का पतन शूल की तरह चुभता है ।
व्यक्ति से मिलकर ही परिवार और समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है , इसलिए अब जरुरत है --- जागने की । सतत विकास बेजान साधनों से नहीं , परिष्कृत मन - मस्तिष्क वाले मनुष्यों से होता है जिनकी चेतना जाग्रत हो , जिनमे संवेदना हो ।
अच्छे समाज का निर्माण करना हो तो इन पहले इन बुराइयों को मिटाना होगा । जो लोग इन बुराइयों को समाज को परोसते हैं वे सोचते हैं कि वे और उनका परिवार इससे बच जायेगा लेकिन ऐसा संभव नहीं होता । धन के लालच में चाहे व्यक्ति अनदेखा कर दे लेकिन अपनी आँखों के आगे अपने परिवार का पतन शूल की तरह चुभता है ।
व्यक्ति से मिलकर ही परिवार और समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है , इसलिए अब जरुरत है --- जागने की । सतत विकास बेजान साधनों से नहीं , परिष्कृत मन - मस्तिष्क वाले मनुष्यों से होता है जिनकी चेतना जाग्रत हो , जिनमे संवेदना हो ।
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