संसार में एक से बढ़ कर एक प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं , अनेक ऐसे व्यक्ति हैं जो ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ हैं , परिश्रमी हैं । लेकिन यह किसी भी समाज का दुर्भाग्य है कि उनकी इस प्रतिभा का उपयोग भ्रष्टाचारी और बेईमान व्यक्ति कर लेते हैं ।
इसलिए ऐसे लोग कहते हैं कि हम तो इतने ईमानदार हैं , कर्तव्य पालन करते हैं फिर भी जीवन विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है । इसका कारण है कि उनके ये गुण ऐसे लोगों को मजबूत बना रहें हैं जो समाज में अत्याचार और अन्याय करते हैं । इसलिए हमें जागरूक होना चाहिए कि हमारे गुणों से समाज को लाभ हो , किसी का अहित न हो ।
महाभारत के प्रसंग हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं ---- भीष्म पितामह इतने पराक्रमी थे , उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था , गुरु द्रोणाचार्य के समान कोई धर्नुधर नहीं था लेकिन इन दोनों ने ही सब जानते हुए भी दुर्योधन का साथ दिया जो कि अन्यायी था , उसने अपने भाइयों का राज्य हड़पा था और उन्हें सताने के लिए षड्यंत्र रचता था । इस कारण इतने पराक्रमी होते हुए भी गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह दोनों का पतन हुआ ।
इसलिए ऐसे लोग कहते हैं कि हम तो इतने ईमानदार हैं , कर्तव्य पालन करते हैं फिर भी जीवन विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है । इसका कारण है कि उनके ये गुण ऐसे लोगों को मजबूत बना रहें हैं जो समाज में अत्याचार और अन्याय करते हैं । इसलिए हमें जागरूक होना चाहिए कि हमारे गुणों से समाज को लाभ हो , किसी का अहित न हो ।
महाभारत के प्रसंग हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं ---- भीष्म पितामह इतने पराक्रमी थे , उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था , गुरु द्रोणाचार्य के समान कोई धर्नुधर नहीं था लेकिन इन दोनों ने ही सब जानते हुए भी दुर्योधन का साथ दिया जो कि अन्यायी था , उसने अपने भाइयों का राज्य हड़पा था और उन्हें सताने के लिए षड्यंत्र रचता था । इस कारण इतने पराक्रमी होते हुए भी गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह दोनों का पतन हुआ ।
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