इस संसार में कोई अमीर है, कोई गरीब है, कोई सुंदर है तो कोई साधारण है । यदि आप शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं तो इस सत्य को स्वीकार करें कि आपके पास जो कुछ भी है वह ईश्वर की कृपा से है । व्यक्ति में जब अपने धन का, रूप का, पद-प्रभुता का अभिमान आ जाता है तो मन में चाहत पैदा हो जाती है कि अब सब लोग उसकी तारीफ करें, उसकी हुकूमत को माने । लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो अपना ही अहंकार घाव बनकर रिसने लगता है । ऐसा व्यक्ति स्वयं अशांत होता है, इससे परिवार में अशांति होती है और सब कुछ होते हुए भी जीवन में सुकून नहीं मिलता ।
जीवन में शांति और अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो अपनी प्रत्येक उपलब्धि में चाहे वह छोटी हो या बड़ी ईश्वर को साझेदार बनाए कि हे परमपिता परमेश्वर ! हमें यह आपकी कृपा से मिला ।
ईश्वर की कृपा आप पर और अधिक हो इसके लिए निस्स्वार्थ सेवा को अपने जीवन में सम्मिलित करें ।
अपनी उपलब्धियों को, अपनी योग्यता को ईश्वर की कृपा से जोड़ देने पर आप में जो नम्रता आएगी वह आपको ऊंचाई के चरम शिखर पर पहुँचा देगी ।
इसलिए अभिमान से सावधान ! धन से आप सब कुछ खरीद सकते हैं, मन की शांति नहीं खरीद सकते । यह शांति तो आपके अपने विचारों में है, बस ! थोड़ा सा परिवर्तन करना है कि इस संसार में एक पत्ता भी हिलता है तो ईश्वर की इच्छा से, इसलिए आपके पास जो भी है, वह ईश्वर की कृपा से है, हमें अहंकाररहित सेवा कार्य से ईश्वर को प्रसन्न करना है ।
जीवन में शांति और अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो अपनी प्रत्येक उपलब्धि में चाहे वह छोटी हो या बड़ी ईश्वर को साझेदार बनाए कि हे परमपिता परमेश्वर ! हमें यह आपकी कृपा से मिला ।
ईश्वर की कृपा आप पर और अधिक हो इसके लिए निस्स्वार्थ सेवा को अपने जीवन में सम्मिलित करें ।
अपनी उपलब्धियों को, अपनी योग्यता को ईश्वर की कृपा से जोड़ देने पर आप में जो नम्रता आएगी वह आपको ऊंचाई के चरम शिखर पर पहुँचा देगी ।
इसलिए अभिमान से सावधान ! धन से आप सब कुछ खरीद सकते हैं, मन की शांति नहीं खरीद सकते । यह शांति तो आपके अपने विचारों में है, बस ! थोड़ा सा परिवर्तन करना है कि इस संसार में एक पत्ता भी हिलता है तो ईश्वर की इच्छा से, इसलिए आपके पास जो भी है, वह ईश्वर की कृपा से है, हमें अहंकाररहित सेवा कार्य से ईश्वर को प्रसन्न करना है ।
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