जीवन में पग-पग पर समस्याएं हैं, चुनौतियां हैं, हमें बहकाने वाले, पथ-भ्रष्ट करने वाले, मुसीबत में फँसाकर खुश होने वाले अनेक लोग हैं, सही दिशा देने वाला कोई नहीं, यदि कोई है भी तो वह ये जानता नहीं कि आज के निर्णय का आपके भविष्य पर क्या असर होगा । सही निर्णय लेने के लिए हम में विवेक होना बहुत जरुरी है, यह विवेक कैसे जागृत हो ? सद्बुद्धि कैसे आये ?----
सर्वप्रथम समस्याओं से जूझने के लिए ईश्वर विश्वास जरुरी है , हमें यह स्वीकार करना होगा कि एक अज्ञात शक्ति है जो इस संसार को चला रही है, इस शक्ति को प्रसन्न करने के लिए हमें निस्स्वार्थ सेवा का कोई कार्य अवश्य करना चाहिए । ऐसे निष्काम कर्म से प्रकृति प्रसन्न होती है और मन निर्मल होता है । हमारे आचार्य, ऋषि, महर्षि का कहना है कि संसार में गायत्री मंत्र ही है , श्रद्धा और विश्वास से इस मंत्र का जप करने से विवेक जागृत होता है , सद्बुद्धि आती है ।
आज संसार में जितनी भी समस्याएं हैं उनका कारण मनुष्य का बुद्धि के विपरीत कार्य करना है
यह जानते हुए कि शराब शरीर के लिए हानिकारक है------ शराब पीते है
प्रकृति के बिना जी नहीं सकते----- फिर भी प्रकृति को प्रदूषित करते हैं
मृत्यु से डरते हैं---- लेकिन गलत जीवन शैली से स्वयं मृत्यु को आमंत्रित करते हैं
आज मनुष्य जाने-अनजाने स्वयं अपना विनाश कर रहा है इसलिए हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें सद्बुद्धि दे !
सर्वप्रथम समस्याओं से जूझने के लिए ईश्वर विश्वास जरुरी है , हमें यह स्वीकार करना होगा कि एक अज्ञात शक्ति है जो इस संसार को चला रही है, इस शक्ति को प्रसन्न करने के लिए हमें निस्स्वार्थ सेवा का कोई कार्य अवश्य करना चाहिए । ऐसे निष्काम कर्म से प्रकृति प्रसन्न होती है और मन निर्मल होता है । हमारे आचार्य, ऋषि, महर्षि का कहना है कि संसार में गायत्री मंत्र ही है , श्रद्धा और विश्वास से इस मंत्र का जप करने से विवेक जागृत होता है , सद्बुद्धि आती है ।
आज संसार में जितनी भी समस्याएं हैं उनका कारण मनुष्य का बुद्धि के विपरीत कार्य करना है
यह जानते हुए कि शराब शरीर के लिए हानिकारक है------ शराब पीते है
प्रकृति के बिना जी नहीं सकते----- फिर भी प्रकृति को प्रदूषित करते हैं
मृत्यु से डरते हैं---- लेकिन गलत जीवन शैली से स्वयं मृत्यु को आमंत्रित करते हैं
आज मनुष्य जाने-अनजाने स्वयं अपना विनाश कर रहा है इसलिए हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें सद्बुद्धि दे !
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