युवा वर्ग में तनाव की समस्या न हो, इसके लिए जरुरी है कि वे होश में रहें, जागरुक रहें ।
युवा वर्ग में ऊर्जा बहुत है और जोश भी बहुत है । यह ऊर्जा ही आपकी सच्ची संपति है जिसकी मदद से जीवन में अनेकों काम करने हैं । यदि इस ऊर्जा का प्रयोग अपनी तकनीकी कुशलता को बढ़ाने में किया जाता है तो इससे इस ऊर्जा को नई दिशा मिलती है ।
यदि ऊर्जा का प्रयोग योग्यता बढ़ाने के साथ लोककल्याण के कार्यों में होता है जैसे---वृक्षारोपण, स्वच्छता, जल संरक्षण, नदियों की सफाई आदि--- ऐसे कार्यों में कितनी भी मेहनत हो, इनसे प्रकृति प्रसन्न होती है और ऊर्जा के साथ-साथ पुण्यों में भी वृद्धि होती है ।
लेकिन जब युवा वर्ग थोड़े से धन के लालच में दूसरों के पद, प्रतिष्ठा एवं अहं की संतुष्टि के लिए अपनी ऊर्जा को अनुत्पादक कार्यों में खर्च करता है, ऐसे कार्यों में खर्च करता है जिसमे न तो पुण्य मिला, न ही योग्यता बढ़ी तो इससे कुंठा व तनाव उत्पन्न होता है ।
संसार में अनेकों स्वार्थी तत्व हैं, जो आपकी ऊर्जा को सही दिशा देने के बजाय अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये उसका दुरूपयोग करते हैं ।
इसलिए यदि स्वस्थ और तनाव रहित जीवन जीना है तो अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं, थोड़े से लालच में किसी और को अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करने का हक न दें ।
युवा वर्ग में ऊर्जा बहुत है और जोश भी बहुत है । यह ऊर्जा ही आपकी सच्ची संपति है जिसकी मदद से जीवन में अनेकों काम करने हैं । यदि इस ऊर्जा का प्रयोग अपनी तकनीकी कुशलता को बढ़ाने में किया जाता है तो इससे इस ऊर्जा को नई दिशा मिलती है ।
यदि ऊर्जा का प्रयोग योग्यता बढ़ाने के साथ लोककल्याण के कार्यों में होता है जैसे---वृक्षारोपण, स्वच्छता, जल संरक्षण, नदियों की सफाई आदि--- ऐसे कार्यों में कितनी भी मेहनत हो, इनसे प्रकृति प्रसन्न होती है और ऊर्जा के साथ-साथ पुण्यों में भी वृद्धि होती है ।
लेकिन जब युवा वर्ग थोड़े से धन के लालच में दूसरों के पद, प्रतिष्ठा एवं अहं की संतुष्टि के लिए अपनी ऊर्जा को अनुत्पादक कार्यों में खर्च करता है, ऐसे कार्यों में खर्च करता है जिसमे न तो पुण्य मिला, न ही योग्यता बढ़ी तो इससे कुंठा व तनाव उत्पन्न होता है ।
संसार में अनेकों स्वार्थी तत्व हैं, जो आपकी ऊर्जा को सही दिशा देने के बजाय अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये उसका दुरूपयोग करते हैं ।
इसलिए यदि स्वस्थ और तनाव रहित जीवन जीना है तो अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं, थोड़े से लालच में किसी और को अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करने का हक न दें ।
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