आज के इस वैज्ञानिक युग में लोगों को क्या हो गया ? कुछ समझ नहीं आता ! धन, भौतिक सुख-सुविधाएँ जुटाने के लिए व्यक्ति हर तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन जिस शरीर से उन सुख-सुविधाओं का उपभोग करना है उसी के प्रति व्यक्ति लापरवाह हो गया है ।
जिम जाने, योग, आसन, प्राणायाम करने से दिखने में चाहे व्यक्ति स्वस्थ दिखे लेकिन क्या अंतस भी उतना ही स्वस्थ है ?
कोई व्यक्ति शरीर से बिलकुल स्वस्थ है, धन-सम्पति भी बहुत है, बड़ा मकान, आधुनिक सुख-सुविधाएँ सब कुछ हैं लेकिन बात-बात में क्रोध आता है, घर-परिवार में लड़ाई-झगड़ा, अशांति है तो ऐसी सुख सुविधाएँ, ऐसा स्वास्थ्य सब धूल के समान है ।
प्रश्न ये है कि क्रोध को कम कैसे करें ? हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि क्रोध से नुकसान किसका हुआ ? जिसने क्रोध किया उसी का ब्लडप्रेशर हाई हुआ, क्रोध की अग्नि में उसी का खून जला । सारा नुकसान तो क्रोध करने वाले का होता है, फिर क्रोध के कारण सारी सुख-सुविधाओं में भी कोई आनंद नहीं है । जब भी आपको क्रोध आये तो अपना चेहरा शीशे में देखना चाहिए, कैसे नथुने फूल जाते हैं ! नाक मोटी हो जाती है, क्रोध से चेहरा काला पड़ जाता है, कितनी गंदी शक्ल हो जाती है ! यदि बहुत क्रोध आता है तो फिर चेहरा, स्वास्थ्य सब निश्चित रूप से बुरा हो जाता है ।
भगवान ने हमें इनसान बनाया, हमारा प्रयास यह हो कि हम भीड़ से अलग दिखें, अपना स्वास्थ्य अपने हाथों बिगाड़ने की मूर्खता न करें । हर समस्या में एक सकारात्मक पक्ष भी होता है, यदि हम अपनी द्रष्टि सकारात्मक पक्ष पर केन्द्रित करेंगे तो धीरे-धीरे क्रोध आना कम हो जायेगा ।
अपने अहंकार की पूर्ति के लिये कभी क्रोध न करें, इससे क्रोध करने वाले का ही नुकसान है ।
हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमें सद्बुद्धि दें, विवेक दें --- मन को शांति दें ।
जिम जाने, योग, आसन, प्राणायाम करने से दिखने में चाहे व्यक्ति स्वस्थ दिखे लेकिन क्या अंतस भी उतना ही स्वस्थ है ?
कोई व्यक्ति शरीर से बिलकुल स्वस्थ है, धन-सम्पति भी बहुत है, बड़ा मकान, आधुनिक सुख-सुविधाएँ सब कुछ हैं लेकिन बात-बात में क्रोध आता है, घर-परिवार में लड़ाई-झगड़ा, अशांति है तो ऐसी सुख सुविधाएँ, ऐसा स्वास्थ्य सब धूल के समान है ।
प्रश्न ये है कि क्रोध को कम कैसे करें ? हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि क्रोध से नुकसान किसका हुआ ? जिसने क्रोध किया उसी का ब्लडप्रेशर हाई हुआ, क्रोध की अग्नि में उसी का खून जला । सारा नुकसान तो क्रोध करने वाले का होता है, फिर क्रोध के कारण सारी सुख-सुविधाओं में भी कोई आनंद नहीं है । जब भी आपको क्रोध आये तो अपना चेहरा शीशे में देखना चाहिए, कैसे नथुने फूल जाते हैं ! नाक मोटी हो जाती है, क्रोध से चेहरा काला पड़ जाता है, कितनी गंदी शक्ल हो जाती है ! यदि बहुत क्रोध आता है तो फिर चेहरा, स्वास्थ्य सब निश्चित रूप से बुरा हो जाता है ।
भगवान ने हमें इनसान बनाया, हमारा प्रयास यह हो कि हम भीड़ से अलग दिखें, अपना स्वास्थ्य अपने हाथों बिगाड़ने की मूर्खता न करें । हर समस्या में एक सकारात्मक पक्ष भी होता है, यदि हम अपनी द्रष्टि सकारात्मक पक्ष पर केन्द्रित करेंगे तो धीरे-धीरे क्रोध आना कम हो जायेगा ।
अपने अहंकार की पूर्ति के लिये कभी क्रोध न करें, इससे क्रोध करने वाले का ही नुकसान है ।
हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमें सद्बुद्धि दें, विवेक दें --- मन को शांति दें ।
No comments:
Post a Comment