आपके पास अपार संपदा है, पद-प्रभुता है, दान-पुण्य भी बहुत करते है, फिर भी जीवन में आनंद नहीं है, अस्वस्थ हैं, तनाव के कारण रात को नींद नहीं आती । इसका कारण क्या है ?
प्रकृति में कुछ भी बिना वजह नहीं होता, हर कार्य के पीछे कोई न कोई कारण होता है ----
मनुष्य के दो हाथों की इतनी क्षमता नहीं कि वह इनसे अपने लिए पुण्य के या पाप के पहाड़ खड़े कर सके । अन्य कोई हमारे लिए पुण्य तो करेगा नहीं ,
यदि आपके पास धन-संपदा, प्रभुता है और आप आनंदित जीवन जीना चाहते हैं तो आपको बहुत सावधान, बहुत चौकन्ने रहने की जरुरत है ।
समाज में कितने ही ऐसे लोग हैं जो प्रभुता संपन्न लोगों के नाम का, उनसे पहचान का सहारा लेकर अपने क्षेत्र,अपनी संस्थाओं में लोगों का शोषण और अत्याचार कर के आपके लिए पाप का पहाड़ खड़ा कर देते हैं । ये ऐसे पाप कर्म हैं जो आपने किये नहीं, इनके संबंध में आपको कुछ जानकारी नहीं लेकिन फिर भी आप इनके लिये जिम्मेदार हैं क्योंकि आपके नाम का, आपके पद का सहारा लेकर ही ये गलत कार्य किये गये । यदि उन्हें आपका सहारा न होता तो शायद वे इतने दबंग भी न होते । ऐसे लोगों द्वारा आपके लिये जो पाप का पहाड़ खड़ा किया जाता है उसी से निकलने वाली तरंगे ही आपके तनाव का, अशांति का कारण हैं ।
यदि आप सही अर्थों में सुख-शांति का, प्रगति का आनंदित जीवन जीना चाहते हैं तो अपने आप से, अपने नाम से, अपने पद से प्यार कीजिए, जागरुक रहिये ! कोई उसका गलत प्रयोग न कर ले ।
प्रकृति में कुछ भी बिना वजह नहीं होता, हर कार्य के पीछे कोई न कोई कारण होता है ----
मनुष्य के दो हाथों की इतनी क्षमता नहीं कि वह इनसे अपने लिए पुण्य के या पाप के पहाड़ खड़े कर सके । अन्य कोई हमारे लिए पुण्य तो करेगा नहीं ,
यदि आपके पास धन-संपदा, प्रभुता है और आप आनंदित जीवन जीना चाहते हैं तो आपको बहुत सावधान, बहुत चौकन्ने रहने की जरुरत है ।
समाज में कितने ही ऐसे लोग हैं जो प्रभुता संपन्न लोगों के नाम का, उनसे पहचान का सहारा लेकर अपने क्षेत्र,अपनी संस्थाओं में लोगों का शोषण और अत्याचार कर के आपके लिए पाप का पहाड़ खड़ा कर देते हैं । ये ऐसे पाप कर्म हैं जो आपने किये नहीं, इनके संबंध में आपको कुछ जानकारी नहीं लेकिन फिर भी आप इनके लिये जिम्मेदार हैं क्योंकि आपके नाम का, आपके पद का सहारा लेकर ही ये गलत कार्य किये गये । यदि उन्हें आपका सहारा न होता तो शायद वे इतने दबंग भी न होते । ऐसे लोगों द्वारा आपके लिये जो पाप का पहाड़ खड़ा किया जाता है उसी से निकलने वाली तरंगे ही आपके तनाव का, अशांति का कारण हैं ।
यदि आप सही अर्थों में सुख-शांति का, प्रगति का आनंदित जीवन जीना चाहते हैं तो अपने आप से, अपने नाम से, अपने पद से प्यार कीजिए, जागरुक रहिये ! कोई उसका गलत प्रयोग न कर ले ।
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