हमारा प्रयास यह हो कि हम बीमार ही न पड़ें । अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी एक निष्काम कर्म को हम अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें, उसे अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना लें । यह कार्य बोझ समझकर या यश प्राप्त करने के लिए नहीं हो, हमारी भावना पवित्र होनी चाहिए ।
व्यक्ति के श्रेष्ठ कर्म ढाल बनकर उसकी रक्षा करते हैं । हमारे प्रारब्ध में कोई बीमारी या दुर्घटना है तो वह तो होगी लेकिन हम उसमें बच जायेंगे, हमारा कोई भी नुकसान नहीं होगा ।
पूजा-पाठ,फूलमाला चढ़ाना आदि विभिन्न कर्मकांड से भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते, भगवान प्रसन्न होते हैं---- सत्कर्मो से । हम अपने दिन की शुरुआत निष्काम कर्म से करें ।
व्यक्ति के श्रेष्ठ कर्म ढाल बनकर उसकी रक्षा करते हैं । हमारे प्रारब्ध में कोई बीमारी या दुर्घटना है तो वह तो होगी लेकिन हम उसमें बच जायेंगे, हमारा कोई भी नुकसान नहीं होगा ।
पूजा-पाठ,फूलमाला चढ़ाना आदि विभिन्न कर्मकांड से भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते, भगवान प्रसन्न होते हैं---- सत्कर्मो से । हम अपने दिन की शुरुआत निष्काम कर्म से करें ।
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