मन की शांति के लिए जरुरी है कि समस्याओं के प्रति हमारा द्रष्टिकोण सकारात्मक हो और द्रष्टिकोण सकारात्मक तभी होगा जब हमारे पास सद्बुद्धि होगी । ये सद्बुद्धि कैसे आये ?
इस संसार में सद्बुद्धि, विवेक जाग्रत होने का केवल एक ही तरीका है, केवल एक ही रास्ता है जिस पर स्वयं को चलना पड़ता है ।
जब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तब साक्षात भगवान भी समझाएं तो समझ नहीं आता जैसे महाभारत में भगवान कृष्ण स्वयं दुर्योधन को समझाने गये, लेकिन वो समझा नहीं, सुई की नोक बराबर भी भूमि देने को तैयार नहीं हुआ, इसलिए महाभारत हुआ |
जब तक व्यक्ति स्वयं न समझना चाहे उसे कोई नहीं समझा सकता, समस्या का सकारात्मक ढंग से सामना करने के लिए हम में विवेक होना चाहिए और विवेक को जाग्रत करने का केवल एक ही रास्ता है------- गायत्री मंत्र ।
हम किसी भी धर्म,संप्रदाय के हों, सूर्य का प्रकाश, हवा, पानी, प्रकृति का साहचर्य हम सबको चाहिए, यदि सूर्योदय न हो तो पृथ्वी पर जीवन कठिन है । अत: उनकी उपासना का मंत्र है-- गायत्री मंत्र ।
जीवन अनमोल है, जब आपका मन शांत होगा तभी आप अपने धन का, संपति का आनंद उठा पायेंगे, परिवार को, बच्चों को सही दिशा दे सकेंगे ।
हम सब ऊँचा पद-प्रतिष्ठा, धन-वैभव, सुख-साधन पाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, इसके साथ ही मन की शांति के लिए, प्रकृति को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जप के साथ निष्काम कर्म अवश्य करें ।
इस संसार में सद्बुद्धि, विवेक जाग्रत होने का केवल एक ही तरीका है, केवल एक ही रास्ता है जिस पर स्वयं को चलना पड़ता है ।
जब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तब साक्षात भगवान भी समझाएं तो समझ नहीं आता जैसे महाभारत में भगवान कृष्ण स्वयं दुर्योधन को समझाने गये, लेकिन वो समझा नहीं, सुई की नोक बराबर भी भूमि देने को तैयार नहीं हुआ, इसलिए महाभारत हुआ |
जब तक व्यक्ति स्वयं न समझना चाहे उसे कोई नहीं समझा सकता, समस्या का सकारात्मक ढंग से सामना करने के लिए हम में विवेक होना चाहिए और विवेक को जाग्रत करने का केवल एक ही रास्ता है------- गायत्री मंत्र ।
हम किसी भी धर्म,संप्रदाय के हों, सूर्य का प्रकाश, हवा, पानी, प्रकृति का साहचर्य हम सबको चाहिए, यदि सूर्योदय न हो तो पृथ्वी पर जीवन कठिन है । अत: उनकी उपासना का मंत्र है-- गायत्री मंत्र ।
जीवन अनमोल है, जब आपका मन शांत होगा तभी आप अपने धन का, संपति का आनंद उठा पायेंगे, परिवार को, बच्चों को सही दिशा दे सकेंगे ।
हम सब ऊँचा पद-प्रतिष्ठा, धन-वैभव, सुख-साधन पाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, इसके साथ ही मन की शांति के लिए, प्रकृति को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जप के साथ निष्काम कर्म अवश्य करें ।
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