एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि कर्तव्य पालन का मन की शांति से क्या संबंध ? इन दोनों का बहुत गहरा संबंध है जैसे--- जिस व्यवसाय में आप है , वहां से आपको वेतन मिलता है | अब यदि व्यवसाय में सौंपे गये काम को पूरी ईमानदारी से नहीं किया तो इससे आपके ऊपर एक कर्ज चढ़ गया । हमारे आचार्य, ऋषियों ने कर्तव्य पालन को ऋण से मुक्ति कहा है, इसलिए कर्तव्य की जब कोई चोरी करता है, कर्तव्य पालन नहीं करता है तो यह ठीक वैसा ही अपराध है जैसे किसी से ऋण लिया और चुकता नहीं किया ।
इसीलिए कर्तव्य पालन न करने का हिसाब हमें प्रकृति को किसी न किसी रूप में चुकाना पड़ता है ।
आज सुख-सुविधाओं और धन-संपन्नता के होते हुए भी लोगों के मन में अशांति है, परिवार में अनेक तरह की समस्याएं हैं उनके मूल में यही एक बहुत बड़ा कारण है कि कर्तव्य पालन भी नहीं किया और गलत तरीके से, भ्रष्टाचार करके धन कमाया तो ये दोहरा कर्ज हो गया, यही कर्ज प्रकृति को चुकाना पड़ता है ।
कर्तव्य पालन के बदले हमें किसी पुरस्कार या सम्मान की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, यह तो पूजा है, सच्ची प्रार्थना है, इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और इसका प्रतिफल हमें प्रकृति से मिलता है ।
हमारा जीवन अनमोल है और हर पल बीतने के साथ जीवन के दिन कम हो रहें हैं इसलिए दूसरों को न देखें , हम अपने दायित्वों को निभाते हुए शांति से जीवन व्यतीत करें ।
इसीलिए कर्तव्य पालन न करने का हिसाब हमें प्रकृति को किसी न किसी रूप में चुकाना पड़ता है ।
आज सुख-सुविधाओं और धन-संपन्नता के होते हुए भी लोगों के मन में अशांति है, परिवार में अनेक तरह की समस्याएं हैं उनके मूल में यही एक बहुत बड़ा कारण है कि कर्तव्य पालन भी नहीं किया और गलत तरीके से, भ्रष्टाचार करके धन कमाया तो ये दोहरा कर्ज हो गया, यही कर्ज प्रकृति को चुकाना पड़ता है ।
कर्तव्य पालन के बदले हमें किसी पुरस्कार या सम्मान की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, यह तो पूजा है, सच्ची प्रार्थना है, इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और इसका प्रतिफल हमें प्रकृति से मिलता है ।
हमारा जीवन अनमोल है और हर पल बीतने के साथ जीवन के दिन कम हो रहें हैं इसलिए दूसरों को न देखें , हम अपने दायित्वों को निभाते हुए शांति से जीवन व्यतीत करें ।
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