जब व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ पाना चाहता है और उतना मिलता नहीं है तो जीवन में निराशा आने लगती है । हमें इस निराशा को ही दूर भगाना है--- इसके लिए सर्वप्रथम ईश्वर पर, प्रकृति पर विश्वास जरुरी है । जैसे प्रकृति में दिन और रात आते-जाते रह्ते हैं, हर रात के बाद सुबह होती है, उसी प्रकार हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि जीवन में जो दुःख है, अंधकार है वह हटेगा, सभी बाधाएं दूर होंगीं और जीवन में एक नई सुबह होगी ।
जब मन में निराशा हो तो कभी भी फालतू न बैठें, श्रेष्ठ साहित्य पढ़ने में, कुछ नया सीखने में, सकारात्मक कार्य में स्वयं को व्यस्त रखें । लोग सोचते हैं कि दोस्तों के बीच बैठने से, उनसे अपने दुःख की बात बताने से दुःख कम होगा लेकिन ऐसी चर्चा करने से दुःख और बढ़ता है ।
दोस्तों के बीच समय गँवाने की बजाय निराशा के समय में भी निष्काम कर्म करना न भूलें, ईश्वर का विश्वास रखें, महापुरुषों के संस्मरण पढ़ें, इससे आपको मार्गदर्शन मिलेगा ।
हमें निराश होकर जीवन से भागना नहीं है, इस संसार में सबको जीने का हक है । हमें सकारात्मक विचारों से और श्रेष्ठ कर्मों से प्रकृति को प्रसन्न करना है । प्रकृति ही ईश्वर है, यदि प्रसन्न हो जाएँ तो जीवन में आनंद ही आनंद है ।
जब मन में निराशा हो तो कभी भी फालतू न बैठें, श्रेष्ठ साहित्य पढ़ने में, कुछ नया सीखने में, सकारात्मक कार्य में स्वयं को व्यस्त रखें । लोग सोचते हैं कि दोस्तों के बीच बैठने से, उनसे अपने दुःख की बात बताने से दुःख कम होगा लेकिन ऐसी चर्चा करने से दुःख और बढ़ता है ।
दोस्तों के बीच समय गँवाने की बजाय निराशा के समय में भी निष्काम कर्म करना न भूलें, ईश्वर का विश्वास रखें, महापुरुषों के संस्मरण पढ़ें, इससे आपको मार्गदर्शन मिलेगा ।
हमें निराश होकर जीवन से भागना नहीं है, इस संसार में सबको जीने का हक है । हमें सकारात्मक विचारों से और श्रेष्ठ कर्मों से प्रकृति को प्रसन्न करना है । प्रकृति ही ईश्वर है, यदि प्रसन्न हो जाएँ तो जीवन में आनंद ही आनंद है ।
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