आज अधिक-से-अधिक धन कमाने के लालच के कारण मनुष्य का विवेक सो गया है | हर पल केवल एक ही धुन सवार रहती है कि कैसे कम-से-कम समय मे बहुत धन कमा ले, इसके अलावा और कुछ सूझता नहीं है । आज लोगों के मन में जितनी अशांति है उसके लिए वे स्वयं भी जिम्मेदार है, फिर यह अशांति छूत की बीमारी की तरह है । एक व्यक्ति जो अशांत है वह किसी प्रकार से दूसरे को परेशान कर उसे अशांत कर देगा, इसी तरह से बहुत से अशांत व्यक्ति मिलकर समाज में दंगा-फ़साद आदि करते हैं ।
समाज में जो लड़ाई-झगड़े, अपराधिक गतिविधियां होती हैं उसमे सब गरीब या मुसीबत के मारे नहीं होते, कई अमीर, संपन्न, पढ़े-लिखे, अच्छे परिवारों के बच्चे भी होते हैं । ऐसा क्यों होता है ?
इसके कई कारण हैं लेकिन जों सबसे प्रमुख है वह यह है कि----- माता-पिता ने धन की तृष्णा और स्वयं आराम में से रहने के लिए पैदा होते ही बच्चे को नौकर के हाथ में दे दिया । बच्चे को माता-पिता का संरक्षण उनका प्यार भरा स्पर्श मिला ही नहीं । बच्चा जिसकी संगत में रहेगा उसके हाव-भाव, उसकी गतिविधियाँ, उसका सोच-विचार उसकी एक-एक बात का बच्चे के मन पर असर पड़ेगा, ---------
छोटे बच्चों को धन से क्या लेना-देना, उन्हे तो प्यार व सुरक्षा चाहिए ।
यदि हम में विवेक जाग्रत हो जाए तो हम जीवन में प्राथमिकताओं का चयन करेंगे, धन भी जरुरी है लेकिन धन कुछ कम हो तो किफायत से कम में भी काम चल सकता है, अपने आराम और दिखावे के खर्च में कटौती की जा सकती है, लेकिन बच्चों का बचपन वापस नहीं आ सकता
ईश्वर से सद्बुद्धि की प्रार्थना करें, पहले अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य पालन करो, स्वयं नेक रास्ते पर चलकर उनके जीवन को सही दिशा दो, केवल धन देने से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती ।
आज मनुष्य शांति चाहता है, लेकिन अपने कर्तव्य से भाग रहा है ।
समाज में जो लड़ाई-झगड़े, अपराधिक गतिविधियां होती हैं उसमे सब गरीब या मुसीबत के मारे नहीं होते, कई अमीर, संपन्न, पढ़े-लिखे, अच्छे परिवारों के बच्चे भी होते हैं । ऐसा क्यों होता है ?
इसके कई कारण हैं लेकिन जों सबसे प्रमुख है वह यह है कि----- माता-पिता ने धन की तृष्णा और स्वयं आराम में से रहने के लिए पैदा होते ही बच्चे को नौकर के हाथ में दे दिया । बच्चे को माता-पिता का संरक्षण उनका प्यार भरा स्पर्श मिला ही नहीं । बच्चा जिसकी संगत में रहेगा उसके हाव-भाव, उसकी गतिविधियाँ, उसका सोच-विचार उसकी एक-एक बात का बच्चे के मन पर असर पड़ेगा, ---------
छोटे बच्चों को धन से क्या लेना-देना, उन्हे तो प्यार व सुरक्षा चाहिए ।
यदि हम में विवेक जाग्रत हो जाए तो हम जीवन में प्राथमिकताओं का चयन करेंगे, धन भी जरुरी है लेकिन धन कुछ कम हो तो किफायत से कम में भी काम चल सकता है, अपने आराम और दिखावे के खर्च में कटौती की जा सकती है, लेकिन बच्चों का बचपन वापस नहीं आ सकता
ईश्वर से सद्बुद्धि की प्रार्थना करें, पहले अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य पालन करो, स्वयं नेक रास्ते पर चलकर उनके जीवन को सही दिशा दो, केवल धन देने से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती ।
आज मनुष्य शांति चाहता है, लेकिन अपने कर्तव्य से भाग रहा है ।
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