जीवन में जब भी दुःख या कष्ट आयें तो हम उन्हें सहजता से स्वीकार करें
सामान्यत: जब कोई कष्ट होता है तो हम उसी की सबसे चर्चा करते है, जिससे नकारात्मकता बढ़ती है जैसे---- किसी को हार्ट अटैक हुआ या दुर्घटना में घायल हो गये | अब सब मित्र, रिश्तेदार देखने आयेंगे तो सबसे वही बीमारी, कष्ट की चर्चा, फिर आने वाले भी अपने साथ हुई ऐसी समस्याओं की चर्चा करेंगे । यह सब चर्चा न केवल एक दिन बल्कि कई दिन चलेगी । इस प्रकार सहानुभूति के रूप में आपके पास नकारात्मकता का पहाड़ इकठ्ठा हो गया, बार-बार बोलने में ऊर्जा खर्च हुई फिर आने वालों का कुछ सत्कार भी करना पड़ा---- मुसीबत पर मुसीबत हो गई ।
परस्पर व्यवहारअपनी जगह है, लेकिन कष्ट तो आ ही गया है, अब उसकी बार-बार चर्चा करने के बजाय अपना समय ईश्वर की प्रार्थना, मंत्र जप, ध्यान में लगायें,यह सोचें कि कौन से नेक कर्म करें जिससे ये कष्ट कम हो जायें । यदि चलने-फिरने में असमर्थता है तो भजन, प्रवचन सुने , अपने आस-पास सकारात्मक उर्जा इकट्ठी करें, जिससे कष्ट में भी मन शांत रहेगा ।
सामान्यत: जब कोई कष्ट होता है तो हम उसी की सबसे चर्चा करते है, जिससे नकारात्मकता बढ़ती है जैसे---- किसी को हार्ट अटैक हुआ या दुर्घटना में घायल हो गये | अब सब मित्र, रिश्तेदार देखने आयेंगे तो सबसे वही बीमारी, कष्ट की चर्चा, फिर आने वाले भी अपने साथ हुई ऐसी समस्याओं की चर्चा करेंगे । यह सब चर्चा न केवल एक दिन बल्कि कई दिन चलेगी । इस प्रकार सहानुभूति के रूप में आपके पास नकारात्मकता का पहाड़ इकठ्ठा हो गया, बार-बार बोलने में ऊर्जा खर्च हुई फिर आने वालों का कुछ सत्कार भी करना पड़ा---- मुसीबत पर मुसीबत हो गई ।
परस्पर व्यवहारअपनी जगह है, लेकिन कष्ट तो आ ही गया है, अब उसकी बार-बार चर्चा करने के बजाय अपना समय ईश्वर की प्रार्थना, मंत्र जप, ध्यान में लगायें,यह सोचें कि कौन से नेक कर्म करें जिससे ये कष्ट कम हो जायें । यदि चलने-फिरने में असमर्थता है तो भजन, प्रवचन सुने , अपने आस-पास सकारात्मक उर्जा इकट्ठी करें, जिससे कष्ट में भी मन शांत रहेगा ।
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