आज कि सबसे बड़ी समस्या है कि व्यक्ति बहुत स्वार्थी हो गया है, स्वार्थ और लालच लोगों के मन पर इतना हावी हों गया है कि इसे पूरा करने के लिए व्यक्ति किसी भी हद तक नीचे गिर सकता है । किसी पर भी विश्वास नही किया जा सकता । लेकिन विडम्बना ये है कि प्रत्येक व्यक्ति कों किसी ऐसे व्यक्ति की जरुरत रहती है जिस पर विश्वास किया जा सके ।
नौकर, ड्राइवर, माली, गार्ड हों या व्यवसाय में पार्टनर हो---- एक विश्वासपात्र व्यक्ति की तलाश होती है ।
यह सोचने की बात है कि जब पर्याप्त आमदनी है, सारी सुख-सुविधाएँ हैं, आय के तमाम स्रोत हैं फिर भी व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त है, अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं है तो अपने नौकर से, अपने आधीन कर्मचारी से जिसका वेतन बहुत कम है, आप कैसे ईमानदारी और विश्वास की उम्मीद कर सकते हैं ।
आज लोगों की जीवन शैली विकृत है, शराब, मांसाहार और सिगरेट आदि विभिन्न नशे के सेवन से लोगों का अपने मन पर नियंत्रण खत्म हो गया है, इसीलिए विभिन्न अपराध और पाशविक प्रवृति की घटनाएं बढ़ गईं हैं ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को सुधारे , व्यक्ति से ही मिलकर परिवार, समाज और राष्ट्र बना है । समस्या ये है कि सुधार कैसे हो ?
सर्वप्रथम तो व्यक्ति में सच्ची चाहत होनी चाहिए कि वह स्वयं और उसका परिवार सुरक्षित रहे । चारों ओर विपदाएं हों, लेकिन यदि हम में सात्विकता है , हमारे जीवन की दिशा सही है तो हर एक विपदा से प्रकृति हमारी रक्षा करती है ।
धन कमाने और संचय करने के साथ-साथ हम अपने बच्चों के लिए पुण्य का संचय भी करें । निरंतर सत्कर्म करके अपने बच्चों के लिए पुण्य का भण्डार छोड़कर जायें, जिससे उनके जीवन पर कोई आँच न आये ।
प्रत्येक धर्म मे अनेक श्रेष्ठ मन्त्र है लेकिन उनसे लाभ तभी मिलता है जब जप करने वाले के जीवन की दिशा सही हो । इसलिए जरुरी है कि अपनी बुराइयों के विरुद्ध जंग छेड़ दें |
इसकी शुरुआत अपने भोजन को सात्विक बनाकर करें ---- सर्वप्रथम मांसाहार छोड़े , फिर नशा छोड़ें
एक-एक करके बुराइयां छोड़ें और कुछ समय मौन रहकर प्रकृति माँ की प्रसन्नता को अनुभव करें ।
नौकर, ड्राइवर, माली, गार्ड हों या व्यवसाय में पार्टनर हो---- एक विश्वासपात्र व्यक्ति की तलाश होती है ।
यह सोचने की बात है कि जब पर्याप्त आमदनी है, सारी सुख-सुविधाएँ हैं, आय के तमाम स्रोत हैं फिर भी व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त है, अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं है तो अपने नौकर से, अपने आधीन कर्मचारी से जिसका वेतन बहुत कम है, आप कैसे ईमानदारी और विश्वास की उम्मीद कर सकते हैं ।
आज लोगों की जीवन शैली विकृत है, शराब, मांसाहार और सिगरेट आदि विभिन्न नशे के सेवन से लोगों का अपने मन पर नियंत्रण खत्म हो गया है, इसीलिए विभिन्न अपराध और पाशविक प्रवृति की घटनाएं बढ़ गईं हैं ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को सुधारे , व्यक्ति से ही मिलकर परिवार, समाज और राष्ट्र बना है । समस्या ये है कि सुधार कैसे हो ?
सर्वप्रथम तो व्यक्ति में सच्ची चाहत होनी चाहिए कि वह स्वयं और उसका परिवार सुरक्षित रहे । चारों ओर विपदाएं हों, लेकिन यदि हम में सात्विकता है , हमारे जीवन की दिशा सही है तो हर एक विपदा से प्रकृति हमारी रक्षा करती है ।
धन कमाने और संचय करने के साथ-साथ हम अपने बच्चों के लिए पुण्य का संचय भी करें । निरंतर सत्कर्म करके अपने बच्चों के लिए पुण्य का भण्डार छोड़कर जायें, जिससे उनके जीवन पर कोई आँच न आये ।
प्रत्येक धर्म मे अनेक श्रेष्ठ मन्त्र है लेकिन उनसे लाभ तभी मिलता है जब जप करने वाले के जीवन की दिशा सही हो । इसलिए जरुरी है कि अपनी बुराइयों के विरुद्ध जंग छेड़ दें |
इसकी शुरुआत अपने भोजन को सात्विक बनाकर करें ---- सर्वप्रथम मांसाहार छोड़े , फिर नशा छोड़ें
एक-एक करके बुराइयां छोड़ें और कुछ समय मौन रहकर प्रकृति माँ की प्रसन्नता को अनुभव करें ।
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