धन कमाना बुरा नहीं है, बुरा वह तब बन जाता है जब उसके साथ लोभ जुड़ जाता है । लोभ के मन में आते ही बुद्धि ताने -बाने बुनने लगती है । लोगों के पास लाखों - करोड़ों रूपये बैंक में जमा होते हैं फिर भी और धन कमाने के लिए वे दूसरों का हक छीनते हैं, बेसिर -पैर की योजनायें बनाते हैं , भ्रष्टाचार करते हैं
इसी कारण वे स्वयं अशांत रहते हैं और उनके ऐसे कार्यों से समाज में अशांति होती है ।
गलत तरीके से कमाये धन का एक भाग यदि सत्कार्य में लगा दिया जाये तो कुछ प्रायश्चित हो ही जाता है , अन्यथा ऐसा धन सत्परिणाम नहीं देता ।
अनेक संत-महात्मा, ज्ञानी, विद्वान युगों से समझा रहे हैं कि ' लालच बुरी बला है ' लेकिन धन का नशा ऐसा है कि व्यक्ति सत्य को समझना ही नहीं चाहता ।
इसके लिए जरुरी है कि ऐसे लोग जिन्होंने जीवन भर गलत तरीकों से धन कमाया, उस धन का उनके स्वयं के जीवन पर, उनके परिवार पर और उनकी आने वाली पीढ़ियों पर क्या प्रभाव पड़ा, ऐसा धन फलीभूत हुआ या नहीं | इसका सम्पूर्ण लेखा-जोखा समाज के सामने प्रस्तुत हो ।
संभव है ऐसी सच्चाई देखकर लोगों का विवेक जाग्रत हो जाये । ईश्वरीय न्याय से डर कर ही व्यक्ति गलत कार्य करने से डरेगा ।
इसी कारण वे स्वयं अशांत रहते हैं और उनके ऐसे कार्यों से समाज में अशांति होती है ।
गलत तरीके से कमाये धन का एक भाग यदि सत्कार्य में लगा दिया जाये तो कुछ प्रायश्चित हो ही जाता है , अन्यथा ऐसा धन सत्परिणाम नहीं देता ।
अनेक संत-महात्मा, ज्ञानी, विद्वान युगों से समझा रहे हैं कि ' लालच बुरी बला है ' लेकिन धन का नशा ऐसा है कि व्यक्ति सत्य को समझना ही नहीं चाहता ।
इसके लिए जरुरी है कि ऐसे लोग जिन्होंने जीवन भर गलत तरीकों से धन कमाया, उस धन का उनके स्वयं के जीवन पर, उनके परिवार पर और उनकी आने वाली पीढ़ियों पर क्या प्रभाव पड़ा, ऐसा धन फलीभूत हुआ या नहीं | इसका सम्पूर्ण लेखा-जोखा समाज के सामने प्रस्तुत हो ।
संभव है ऐसी सच्चाई देखकर लोगों का विवेक जाग्रत हो जाये । ईश्वरीय न्याय से डर कर ही व्यक्ति गलत कार्य करने से डरेगा ।
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