शान्ति के लिए व्यक्ति इधऱ -उधर भटकता है , लेकिन शान्ति नहीं मिलती । इसके अनेक कारण हैं । जो दुष्प्रवृति के लोग हैं , उनकी यह प्रकृति बदलती नहीं । उनके ऊपर चाहे कितनी मुसीबतें आ जायें , चाहे सजा हो जाये , उनका स्वभाव बदलता नहीं है । बिच्छू का स्वभाव डंक मारने का है वह मारेगा ही ।
दुर्योधन को समझाने भगवान कृष्ण स्वयं गये , लेकिन वह माना नहीं , सुई की नोक बराबर जमीन भी नहीं दी , आखिर महाभारत हुआ ।
जब तक व्यक्ति स्वयं सुधरना न चाहे , उसे कोई नहीं सुधार सकता ।
आज ऐसी दुर्बुद्धिग्रस्त लोगों की अधिकता है , इस कारण दुनिया में अशांति है ।
यह अशांति कैसे दूर हो ?
इसके लिए जरूरी है कि सकारात्मक सोच के , श्रेष्ठता की राह पर चलने वाले संगठित हो जायें । जब हर संस्था में , प्रत्येक क्षेत्र में सच्चाई और ईमानदारी से कर्तव्यपालन करने वाले संगठित हो जायेंगे तो दुष्प्रवृति के लोग छुपते फिरेंगे । गलत राह पर चलने वाले भीतर से डरपोक व कायर होते हैं । जब श्रेष्ठता को संगठित देखेंगे तो गलत कार्य करने की हिम्मत नहीं करेँगे । इसी तरह धरती पर शांति और सुख का साम्राज्य होगा ।
दुर्योधन को समझाने भगवान कृष्ण स्वयं गये , लेकिन वह माना नहीं , सुई की नोक बराबर जमीन भी नहीं दी , आखिर महाभारत हुआ ।
जब तक व्यक्ति स्वयं सुधरना न चाहे , उसे कोई नहीं सुधार सकता ।
आज ऐसी दुर्बुद्धिग्रस्त लोगों की अधिकता है , इस कारण दुनिया में अशांति है ।
यह अशांति कैसे दूर हो ?
इसके लिए जरूरी है कि सकारात्मक सोच के , श्रेष्ठता की राह पर चलने वाले संगठित हो जायें । जब हर संस्था में , प्रत्येक क्षेत्र में सच्चाई और ईमानदारी से कर्तव्यपालन करने वाले संगठित हो जायेंगे तो दुष्प्रवृति के लोग छुपते फिरेंगे । गलत राह पर चलने वाले भीतर से डरपोक व कायर होते हैं । जब श्रेष्ठता को संगठित देखेंगे तो गलत कार्य करने की हिम्मत नहीं करेँगे । इसी तरह धरती पर शांति और सुख का साम्राज्य होगा ।
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