खुश रहना है तो ईर्ष्या को छोड़ना होगा । दूसरों के पास क्या है , यह देखकर हम न ईर्ष्या करें और न परेशान हो , जो कुछ अपने पास उपलब्ध है , उसकी ख़ुशी मनाएं । इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य लेकर आता हैं और अपने पुरुषार्थ से उसे संवारता है ।
किसी से ईर्ष्या करके हम उसके भाग्य के लेख को मिटा नहीं सकते । ईर्ष्यालु व्यक्ति स्वयं अपना अमूल्य समय व ऊर्जा ईर्ष्या में नष्ट कर लेता है ।
ईश्वर ने जो कुछ हमें दिया है , जब तक हम उसके महत्व को नही समझेंगे , उसे सबसे कीमती नहीं समझेंगे तब तक ईर्ष्या दूर नहीं हो सकती |
किसी से ईर्ष्या करके हम उसके भाग्य के लेख को मिटा नहीं सकते । ईर्ष्यालु व्यक्ति स्वयं अपना अमूल्य समय व ऊर्जा ईर्ष्या में नष्ट कर लेता है ।
ईश्वर ने जो कुछ हमें दिया है , जब तक हम उसके महत्व को नही समझेंगे , उसे सबसे कीमती नहीं समझेंगे तब तक ईर्ष्या दूर नहीं हो सकती |
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