विभिन्न  संस्थाओं  में  ,  कार्यालयों  में  ,  समाज  में  परिवार  में  ,  सभी  क्षेत्रों  में    जिन  लोगों  ने  नेताओं ,  अधिकारियों  व  ताकतवर  लोगों  से   निकटता  हासिल  कर  ली  है   वह  अपने  क्षेत्र  के  लोगों  पर  अत्याचार  करते  हैं  ,  अन्याय  करते  हैं   ।   विडम्बना  यह  है  कि  अन्याय  सहने  वाले   इसे  अपना  दुर्भाग्य ,  पिछले  जन्म  के  कर्म  ,  भाग्य  का  खेल  समझ  कर  चुपचाप  सहन  करते  हैं   ।
लोग भाग्यवादी हैं , आततायी का सामना करने के लिए उठ खड़े नहीं होते , मुकाबला नहीं करते । इसलिए अत्याचारी के हौसले बढ़ते जाते हैं , उनका संगठन बढ़ता जाता है , इसी के परिणाम स्वरुप समाज में अशान्ति होती है ।
इसी भाग्यवादिता के कारण हमने युगों तक गुलामी सही । कई अंग्रेज जो भारत से सहानुभूति रखते थे , वे कहते थे --- भारत के लोग किस मिट्टी के बने हैं , इतना अत्याचार सहते हैं पर उफ तक नहीं करते , उसका मुकाबला करने के लिए खड़े नहीं होते ।
लोग भाग्यवादी हैं , सोचते हैं भगवान आयेंगे , अत्याचारियों को सजा देंगे । भगवान आयेंगे अवश्य लेकिन तब जब हम नींद से जागेंगे । उनके विरुद्ध संगठित प्रयास करेंगे तब निराकार ईश्वर हमारे ह्रदय में प्रवेश कर हमें शक्ति , व सद्बुद्धि देंगे । पहला कदम तो हमें उठाना ही होगा ।
सत्कर्म की ढाल हाथ में लेकर अत्याचारी से मुकाबला करना चाहिए ।
लोग भाग्यवादी हैं , आततायी का सामना करने के लिए उठ खड़े नहीं होते , मुकाबला नहीं करते । इसलिए अत्याचारी के हौसले बढ़ते जाते हैं , उनका संगठन बढ़ता जाता है , इसी के परिणाम स्वरुप समाज में अशान्ति होती है ।
इसी भाग्यवादिता के कारण हमने युगों तक गुलामी सही । कई अंग्रेज जो भारत से सहानुभूति रखते थे , वे कहते थे --- भारत के लोग किस मिट्टी के बने हैं , इतना अत्याचार सहते हैं पर उफ तक नहीं करते , उसका मुकाबला करने के लिए खड़े नहीं होते ।
लोग भाग्यवादी हैं , सोचते हैं भगवान आयेंगे , अत्याचारियों को सजा देंगे । भगवान आयेंगे अवश्य लेकिन तब जब हम नींद से जागेंगे । उनके विरुद्ध संगठित प्रयास करेंगे तब निराकार ईश्वर हमारे ह्रदय में प्रवेश कर हमें शक्ति , व सद्बुद्धि देंगे । पहला कदम तो हमें उठाना ही होगा ।
सत्कर्म की ढाल हाथ में लेकर अत्याचारी से मुकाबला करना चाहिए ।