जब तक हम आजाद नहीं थे तब तक हर समस्या का दोष विदेशी शासन पर मढ़ दिया जाता था , लेकिन अब जब हम आजाद हैं तो इन विभिन्न समस्याओं का दोष किसे दें ?
वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के कारण चेतना सुप्त हो गई है , स्वतंत्रता को मर्यादित ढंग से कैसे उपभोग करें , यह समझ न सके इसलिए स्वतंत्रता , स्वछन्दता में बदल गई । महिलाओं को स्वतंत्रता मिली तो विचार परिष्कृत नहीं हुए , सोचने समझने का दायरा नहीं विकसित हुआ , आधुनिक पहनावा , फ़िल्मी अमर्यादित जीवन को ही स्वतंत्रता समझ लिया । इसी तरह चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या नौकरी - व्यवसाय हो , बहुत दिनों में आजादी मिली तो खूब लूटो -खाओ , भ्रष्टाचार करो --- इसे ही स्वतंत्रता समझा ।
पारिवारिक क्षेत्र में --- संयुक्त परिवार थे , त्याग की भावना थी लेकिन आजादी का यह अर्थ समझा कि अब पारिवारिक दायित्वों को नहीं निभाना है , बच्चों को भी नौकरों से पलवाना है , योग कर लेंगे , जिम जायेंगे लेकिन घर - गृहस्थी का काम नहीं करेंगे । यही स्वतंत्रता है ।
समाज में शान्ति तभी होगी जब हम स्वतंत्र होंगे , स्वछन्द नहीं ।
हमें रामायण से सीखना है --- लक्ष्मण रेखा --- जीवन के , समाज के हर क्षेत्र में है , उसे पार करने से ही अशान्ति है ।
वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के कारण चेतना सुप्त हो गई है , स्वतंत्रता को मर्यादित ढंग से कैसे उपभोग करें , यह समझ न सके इसलिए स्वतंत्रता , स्वछन्दता में बदल गई । महिलाओं को स्वतंत्रता मिली तो विचार परिष्कृत नहीं हुए , सोचने समझने का दायरा नहीं विकसित हुआ , आधुनिक पहनावा , फ़िल्मी अमर्यादित जीवन को ही स्वतंत्रता समझ लिया । इसी तरह चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या नौकरी - व्यवसाय हो , बहुत दिनों में आजादी मिली तो खूब लूटो -खाओ , भ्रष्टाचार करो --- इसे ही स्वतंत्रता समझा ।
पारिवारिक क्षेत्र में --- संयुक्त परिवार थे , त्याग की भावना थी लेकिन आजादी का यह अर्थ समझा कि अब पारिवारिक दायित्वों को नहीं निभाना है , बच्चों को भी नौकरों से पलवाना है , योग कर लेंगे , जिम जायेंगे लेकिन घर - गृहस्थी का काम नहीं करेंगे । यही स्वतंत्रता है ।
समाज में शान्ति तभी होगी जब हम स्वतंत्र होंगे , स्वछन्द नहीं ।
हमें रामायण से सीखना है --- लक्ष्मण रेखा --- जीवन के , समाज के हर क्षेत्र में है , उसे पार करने से ही अशान्ति है ।
No comments:
Post a Comment