आज की अधिकांश समस्याओं का कारण विवेक की कमी है । विवेक न होने से , जागरूक न होने से ही लोग समस्याओ से घिर जाते हैं । शराब , सिगरेट , तम्बाकू की आदत का कारण ही विवेकहीनता है । किसी के समझाने से जोर - जबरदस्ती से ये आदतें नहीं छूटती, यदि व्यक्ति के भीतर का विवेक जाग्रत हो जाये तो पल भर में ही ये आदत छूट जाये ।
व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि अपनी सेहत , अपना पैसा , अपने जीवन के अमूल्य क्षण गँवा कर वह दूसरों को अमीर बना रहा है । और ये अमीर स्वयं ऐश से रह रहे हैं , समाज के कल्याण के लिए कुछ नहीं कर रहे । -- यह सत्य समझ में आना जरुरी है ।
मनुष्यों में स्वाभाविक अनुकरण की प्रवृति होती है , जब कुछ लोग अपनी दुष्प्रवृतियों को छोड़ेंगे तो और लोग भी उनका अनुकरण करेंगे ।
इसी तरह आज की युवा पीढ़ी बेरोजगारी से परेशान है , बेरोजगार अवश्य हैं लेकिन मैच देखने , एक ही फिल्म अनेक बार देखने , मांसाहार करने में बहुत धन खर्च कर देते हैं । इससे अमीर तो और अमीर हो जाते हैं , लेकिन युवाओं की बेरोजगारी दूर नहीं होती । यदि विवेक जाग जाये तो इसी समय और धन का उपयोग कोई हुनर , तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने में करें तो अपनी मेहनत और योग्यता से स्वाभिमान का जीवन जिया जा सकता है ।
युवा पीढ़ी में बहुत उर्जा है , इस उर्जा को सही दिशा में नियोजित करें तो जीवन सफल हो सकता
है ।
व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि अपनी सेहत , अपना पैसा , अपने जीवन के अमूल्य क्षण गँवा कर वह दूसरों को अमीर बना रहा है । और ये अमीर स्वयं ऐश से रह रहे हैं , समाज के कल्याण के लिए कुछ नहीं कर रहे । -- यह सत्य समझ में आना जरुरी है ।
मनुष्यों में स्वाभाविक अनुकरण की प्रवृति होती है , जब कुछ लोग अपनी दुष्प्रवृतियों को छोड़ेंगे तो और लोग भी उनका अनुकरण करेंगे ।
इसी तरह आज की युवा पीढ़ी बेरोजगारी से परेशान है , बेरोजगार अवश्य हैं लेकिन मैच देखने , एक ही फिल्म अनेक बार देखने , मांसाहार करने में बहुत धन खर्च कर देते हैं । इससे अमीर तो और अमीर हो जाते हैं , लेकिन युवाओं की बेरोजगारी दूर नहीं होती । यदि विवेक जाग जाये तो इसी समय और धन का उपयोग कोई हुनर , तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने में करें तो अपनी मेहनत और योग्यता से स्वाभिमान का जीवन जिया जा सकता है ।
युवा पीढ़ी में बहुत उर्जा है , इस उर्जा को सही दिशा में नियोजित करें तो जीवन सफल हो सकता
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