समस्या चाहे व्यक्तिगत हो , पारिवारिक हो या सामाजिक , यदि हम उस समस्या से मुक्ति पाना चाहते हैं तो समस्या की तह में जाना होगा । समस्या के मूल कारणों को दूर करना होगा ।
अधिकांश समस्याएं लोगों की स्वार्थ की भावना और नकारात्मक सोच के कारण हैं । नशा , सिगरेट , तम्बाकू ---- ये सब व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देते हैं । जिसे इसकी लत पड़ जाती है उसके पूरे 24 घंटे इसी की जुगाड़ में बीत जाते हैं और जो इसका व्यवसाय करते हैं उनका लक्ष्य इसी बात पर रहता है कि कितने अधिक से अधिक लोग इसकी गिरफ्त में आ जाएँ ।
इसी ताने - बाने में उलझा व्यक्ति न तो अच्छा सोचता है , न सत्कर्म करता है ।
जब तक व्यक्ति के विचार परिष्कृत नहीं होंगे , दुष्प्रवृतियों पर नियंत्रण नहीं होगा , शान्ति संभव नहीं है । आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि लोगों की आदतों को सुधारने के लिए ठोस प्रयास किये जायें शेष समस्याएं अपने आप सुलझ जायेंगी ।
अधिकांश समस्याएं लोगों की स्वार्थ की भावना और नकारात्मक सोच के कारण हैं । नशा , सिगरेट , तम्बाकू ---- ये सब व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देते हैं । जिसे इसकी लत पड़ जाती है उसके पूरे 24 घंटे इसी की जुगाड़ में बीत जाते हैं और जो इसका व्यवसाय करते हैं उनका लक्ष्य इसी बात पर रहता है कि कितने अधिक से अधिक लोग इसकी गिरफ्त में आ जाएँ ।
इसी ताने - बाने में उलझा व्यक्ति न तो अच्छा सोचता है , न सत्कर्म करता है ।
जब तक व्यक्ति के विचार परिष्कृत नहीं होंगे , दुष्प्रवृतियों पर नियंत्रण नहीं होगा , शान्ति संभव नहीं है । आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि लोगों की आदतों को सुधारने के लिए ठोस प्रयास किये जायें शेष समस्याएं अपने आप सुलझ जायेंगी ।
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