आज के समय में लोगों में धैर्य की कमी है , अपनी योग्यता से सीढ़ी-दर-सीढ़ी आगे बढ़ने का , तरक्की करने का धैर्य किसी के पास नहीं है l प्रत्येक व्यक्ति रातोंरात अमीर होना चाहता है और इसके लिए ऐसे लोग नेताओं की , अधिकारियों की , शक्ति - संपन्न लोगों की खुशामद करते रहते हैं l
अपना स्वार्थ पूरा हो जाये फिर चाहे देश का , समाज का , प्रकृति का कितना ही नुकसान क्यों न हो जाये । ऐसे ही लोगों की अधिकता है , अब कौन किसे दण्ड दे ?
इसलिए अब प्रकृति नाराज हो गई है l सुख - शान्ति से जीने के लिए जरुरी है कि केवल स्वयं अमीर बनकर न रहें , अपने धन का कुछ भाग सेवा कार्यों में खर्च करें , लेकिन इसमें दिखावा न हो जरूरतमंद को रोटी - रोजी मिले , उनका शोषण न हो l सत्कर्म करने से ही नकारात्मकता दूर होगी ।
अपना स्वार्थ पूरा हो जाये फिर चाहे देश का , समाज का , प्रकृति का कितना ही नुकसान क्यों न हो जाये । ऐसे ही लोगों की अधिकता है , अब कौन किसे दण्ड दे ?
इसलिए अब प्रकृति नाराज हो गई है l सुख - शान्ति से जीने के लिए जरुरी है कि केवल स्वयं अमीर बनकर न रहें , अपने धन का कुछ भाग सेवा कार्यों में खर्च करें , लेकिन इसमें दिखावा न हो जरूरतमंद को रोटी - रोजी मिले , उनका शोषण न हो l सत्कर्म करने से ही नकारात्मकता दूर होगी ।
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