आज संसार में इतनी अशान्ति है उसका कारण यही है कि अब लोगों के जीवन का एकमात्र उद्देश्य धन कमाना और भोग - विलास का जीवन जीना है ।
जीवन में श्रेष्ठ लक्ष्य , सकारात्मक सोच न होने के कारण , विशेष रूप से युवा पीढ़ी अपना समय और अपनी उर्जा ऐसे कार्यों में अपव्यय करती है जिससे न तो कोई स्वास्थ्य लाभ होता है , न ही जीवन को कोई दिशा मिलती है ।
जैसे जब मैच होते हैं तो लोग मैदान में या टीवी के सामने सारा समय मैच देखते हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि उनके जीवन में और कोई काम ही नहीं है । यदि कोई श्रेष्ठ लक्ष्य सामने हो तो थोड़ी देर मनोरंजन कर व्यक्ति अपने कार्य में व्यस्त हो जाये ।
इसी तरह फिल्म के हीरो , हिरोइन को अपना आदर्श मानकर कई - कई बार फ़िल्में और सीरियल देखते हैं l इसके बाद जो समय है उसमे सिगरेट और नशा करते हैं ।
ये सारे शौक ऐसे हैं जिसमे व्यक्ति अपना समय , अपना धन और अपनी उर्जा व्यय कर के इनसे जुड़ी हुई कम्पनियों और लोगों को करोड़पति और अरबपति बनाता है और फिर कहता हैं समाज में आर्थिक विषमता है । इसी को दुर्बुद्धि कहते हैं
आर्थिक समानता के इच्छुक लोगों को अपने शौक , अपनी रूचि को मर्यादित करना होगा ।
जीवन में श्रेष्ठ लक्ष्य , सकारात्मक सोच न होने के कारण , विशेष रूप से युवा पीढ़ी अपना समय और अपनी उर्जा ऐसे कार्यों में अपव्यय करती है जिससे न तो कोई स्वास्थ्य लाभ होता है , न ही जीवन को कोई दिशा मिलती है ।
जैसे जब मैच होते हैं तो लोग मैदान में या टीवी के सामने सारा समय मैच देखते हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि उनके जीवन में और कोई काम ही नहीं है । यदि कोई श्रेष्ठ लक्ष्य सामने हो तो थोड़ी देर मनोरंजन कर व्यक्ति अपने कार्य में व्यस्त हो जाये ।
इसी तरह फिल्म के हीरो , हिरोइन को अपना आदर्श मानकर कई - कई बार फ़िल्में और सीरियल देखते हैं l इसके बाद जो समय है उसमे सिगरेट और नशा करते हैं ।
ये सारे शौक ऐसे हैं जिसमे व्यक्ति अपना समय , अपना धन और अपनी उर्जा व्यय कर के इनसे जुड़ी हुई कम्पनियों और लोगों को करोड़पति और अरबपति बनाता है और फिर कहता हैं समाज में आर्थिक विषमता है । इसी को दुर्बुद्धि कहते हैं
आर्थिक समानता के इच्छुक लोगों को अपने शौक , अपनी रूचि को मर्यादित करना होगा ।
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