जब कभी समाज में स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि व्यक्ति अपने को राक्षस कहने - कहलाने में गर्व अनुभव करने लगे तब उसका अंत करना ही उचित होता है l ---- महर्षि पुलस्त्य का पौत्र और परमज्ञानी , तेजस्वी महर्षि विश्रवा का पुत्र रावण अपने को ऋषि पुत्र कहने के बजाय
' राक्षसराज ' कहता था l वेद और शास्त्रों का ज्ञाता , महान विद्वान् होते हुए भी मर्यादा भुला बैठा l छल से उसने सीताजी का अपहरण किया l तब भगवन राम ने न केवल रावण का वध किया , बल्कि पापी और अत्याचारी का साथ देने वाले उसके सभी बन्धु - बांधवों का वध कर दिया ताकि समाज को कलंकित करने वाली ऐसी घटनाएँ दुबारा न हों l
इसी तरह महाभारत में प्रसंग है --- जब पांडव अज्ञातवास में राजा विराट के महल में वेश बदल कर कार्य करते थे l महारानी द्रोपदी सैरंध्री बनकर रानी की सेवा करती थीं l तब रानी के भाई
' कीचक ' की कुद्रष्टि द्रोपदी पर थी l जब बात असहनीय हो गई तो एक दिन अवसर पाकर सैरंध्री ( महारानी द्रोपदी ) ने भीम से उसकी शिकायत की l भीम को बहुत क्रोध आया , उस दिन वे अज्ञातवास में थे इसलिए सामने चुनौती देकर युद्ध नहीं कर सकते थे , उन्होंने योजना बनाई, उसके अनुसार सैरंध्री ने कीचक से कहा --- ठीक है तुम रात को अँधेरे में आना , शर्त यह है कि रोशनी बिलकुल न हो l कीचक तो कामांध था , चल दिया l वहां सेज पर द्रोपदी की बजाय भीम बैठ गए l कीचक बहुत बलवान था l भीम और कीचक में मल्ल युद्ध हुआ l भीम ने कीचक को मौत के घाट उतार दिया l
दु:शासन ने चीर हरण किया , दुर्योधन ने उस वक्त अपशब्द बोले , तो महाभारत हुआ समूचे कौरव वंश का अंत हो गया l इतिहास ऐसे उदाहरण से भरा पड़ा है कि जिसने भी नारी के सम्मान को चुनौती दी , उसे अपमानित किया , उसका अंत किया गया l
इसी तरह संस्कृति की रक्षा संभव हो सकी है l आज के समय में जब अपराधी समाज में मिलकर रौब से रहते हैं तब विचारशीलों को जागरूक होने की अनिवार्यता है l
' राक्षसराज ' कहता था l वेद और शास्त्रों का ज्ञाता , महान विद्वान् होते हुए भी मर्यादा भुला बैठा l छल से उसने सीताजी का अपहरण किया l तब भगवन राम ने न केवल रावण का वध किया , बल्कि पापी और अत्याचारी का साथ देने वाले उसके सभी बन्धु - बांधवों का वध कर दिया ताकि समाज को कलंकित करने वाली ऐसी घटनाएँ दुबारा न हों l
इसी तरह महाभारत में प्रसंग है --- जब पांडव अज्ञातवास में राजा विराट के महल में वेश बदल कर कार्य करते थे l महारानी द्रोपदी सैरंध्री बनकर रानी की सेवा करती थीं l तब रानी के भाई
' कीचक ' की कुद्रष्टि द्रोपदी पर थी l जब बात असहनीय हो गई तो एक दिन अवसर पाकर सैरंध्री ( महारानी द्रोपदी ) ने भीम से उसकी शिकायत की l भीम को बहुत क्रोध आया , उस दिन वे अज्ञातवास में थे इसलिए सामने चुनौती देकर युद्ध नहीं कर सकते थे , उन्होंने योजना बनाई, उसके अनुसार सैरंध्री ने कीचक से कहा --- ठीक है तुम रात को अँधेरे में आना , शर्त यह है कि रोशनी बिलकुल न हो l कीचक तो कामांध था , चल दिया l वहां सेज पर द्रोपदी की बजाय भीम बैठ गए l कीचक बहुत बलवान था l भीम और कीचक में मल्ल युद्ध हुआ l भीम ने कीचक को मौत के घाट उतार दिया l
दु:शासन ने चीर हरण किया , दुर्योधन ने उस वक्त अपशब्द बोले , तो महाभारत हुआ समूचे कौरव वंश का अंत हो गया l इतिहास ऐसे उदाहरण से भरा पड़ा है कि जिसने भी नारी के सम्मान को चुनौती दी , उसे अपमानित किया , उसका अंत किया गया l
इसी तरह संस्कृति की रक्षा संभव हो सकी है l आज के समय में जब अपराधी समाज में मिलकर रौब से रहते हैं तब विचारशीलों को जागरूक होने की अनिवार्यता है l
No comments:
Post a Comment