किसी भी स्थिति में सुधार इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि व्यक्ति अपनी गलती को स्वीकारने और उसे सुधारने के बजाय उसके लिए दूसरों को दोषी ठहराता है l इसका परिणाम यह होता है कि जिसने गलती की है वह कभी सुधरता नहीं है क्योंकि उसने इसके लिए दूसरे को जिम्मेदार ठहरा दिया l यह स्थिति राजनीति हो या समाज सभी जगह देखने को मिलती है l इस कारण ठहराव आ जाता है l जब गलतियाँ स्वीकार नहीं करना , सुधरना नहीं तो व्यक्तित्व का विकास तो रुक ही जाता है l आज ऐसे ही लोगों की अधिकता है , इसका सारे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है l शुरू से ही विदेशी सरकार और विदेशी जातियों को दोष देते रहे , कभी अपने गिरेबान में झांककर नहीं देखा ---- धर्म के नाम पर , जाति के नाम पर युगों से कितना अत्याचार किया और महिलाओं व बच्चियों पर जो अमानवीय अत्याचार किया जाता है , उसकी खबर तो पूरी दुनिया को है l
एक समाज वर्तमान में जैसा व्यवहार करता है , वही उसका इतिहास बन जाता है l यदि उत्पीड़न और अत्याचार ज्यादा है तो ऐसे कलंकित करने वाले शब्द इस युग की पहचान बन जायेंगे l
अब भी वक्त है अपनी गलतियों को सुधारकर एक नए समाज का निर्माण करें l
एक समाज वर्तमान में जैसा व्यवहार करता है , वही उसका इतिहास बन जाता है l यदि उत्पीड़न और अत्याचार ज्यादा है तो ऐसे कलंकित करने वाले शब्द इस युग की पहचान बन जायेंगे l
अब भी वक्त है अपनी गलतियों को सुधारकर एक नए समाज का निर्माण करें l
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