Thursday 5 July 2018

व्यक्ति बदली हुई परिस्थिति से समझौता करना नहीं चाहता

  स्वतंत्रता  के  पहले   राजा - रजवाड़े  थे ,  जमींदार , जागीरदार ,  सामंत  आदि  थे  जो  अपने - अपने  क्षेत्र  में  अपना  दबदबा  रखते  थे   l  इसी  तरह  जाति  को  देखें  तो   एक  विशेष  वर्ग  ने  अपने  को  श्रेष्ठ  घोषित  कर  अन्य  वर्गों  को  बहुत   तिरस्कृत  व  अपमानित  किया  l 
  अब  परिस्थितियां  बदल   गईं  लेकिन  इन  लोगों  की  सोच  नहीं  बदली   इस  कारण   खुद  कुंठित  रहते  हैं  और   अपने  अहंकार  को  पोषण  न   मिलने  के  कारण  दूसरों  को  परेशान    करते  हैं  l  इससे  समाज  में   अशांति ,  तनाव  की  स्थिति  पैदा  होती  है  l  ऐसे  लोग  दूसरे  की  तरक्की ,  किसी  को  आगे  बढ़ता  हुआ  नहीं  देख  सकते  ,  लोगों  को  अपनी  कठपुतली  बना  कर  रखना  चाहते  हैं   l  ऐसे  अशांत  मन  के  लोग  अपनी  नकारात्मकता  से  सब    ओर    अशांति  पैदा  करते  हैं   l 
  शांति  तब  होगी   जब  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  होगी ,  जियो  और  जीने  दो  के  सिद्धांत  पर  सब  चलेंगे   l  

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