स्वतंत्रता के पहले राजा - रजवाड़े थे , जमींदार , जागीरदार , सामंत आदि थे जो अपने - अपने क्षेत्र में अपना दबदबा रखते थे l इसी तरह जाति को देखें तो एक विशेष वर्ग ने अपने को श्रेष्ठ घोषित कर अन्य वर्गों को बहुत तिरस्कृत व अपमानित किया l
अब परिस्थितियां बदल गईं लेकिन इन लोगों की सोच नहीं बदली इस कारण खुद कुंठित रहते हैं और अपने अहंकार को पोषण न मिलने के कारण दूसरों को परेशान करते हैं l इससे समाज में अशांति , तनाव की स्थिति पैदा होती है l ऐसे लोग दूसरे की तरक्की , किसी को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख सकते , लोगों को अपनी कठपुतली बना कर रखना चाहते हैं l ऐसे अशांत मन के लोग अपनी नकारात्मकता से सब ओर अशांति पैदा करते हैं l
शांति तब होगी जब लोगों के ह्रदय में संवेदना होगी , जियो और जीने दो के सिद्धांत पर सब चलेंगे l
अब परिस्थितियां बदल गईं लेकिन इन लोगों की सोच नहीं बदली इस कारण खुद कुंठित रहते हैं और अपने अहंकार को पोषण न मिलने के कारण दूसरों को परेशान करते हैं l इससे समाज में अशांति , तनाव की स्थिति पैदा होती है l ऐसे लोग दूसरे की तरक्की , किसी को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख सकते , लोगों को अपनी कठपुतली बना कर रखना चाहते हैं l ऐसे अशांत मन के लोग अपनी नकारात्मकता से सब ओर अशांति पैदा करते हैं l
शांति तब होगी जब लोगों के ह्रदय में संवेदना होगी , जियो और जीने दो के सिद्धांत पर सब चलेंगे l
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